Aaj Samaj (आज समाज), Ruchira Kamboj, न्यूयार्क: भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधारों की वकालत की है। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में गुरुवार को मुद्दे पर एक राउंडटेबल चर्चा की गई। बैठक में भारत के अलावा ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, सेंट विंसेंट और ग्रेनाडा के डिप्लोमैट शामिल हुए। इस दौरान यूएनएससी में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि परिषद की मौजूदा संरचना आज की बहु-ध्रुवीय और आपस में जुड़ी हुई दुनिया की हकीकतों से परे है। उन्होंने कहा, अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियां आज दुनिया के सामने हैं, ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की जरूरत है। बता दें कि यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य हैं। जिनमें अमेरिका, फ्रांस, चीन, रूस और ब्रिटेन शामिल हैं। 15 देशों की परिषद में अन्य देश अस्थायी सदस्य होते हैं और वह बदलते रहते हैं।
एकजुट होकर जिम्मेदारी से कदम उठाने की जरूरत
रुचिरा कंबोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद का गठन एक अलग युग में हुआ था और इसकी मौजूदा संरचना नई ताकतों के उभार को प्रतिबिंबित नहीं करती है। उन्होंने कहा, आज जब भूराजनैतिक परिदृश्य बदल रहा है तो देश ज्यादा समान और निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था चाहते हैं। जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, आपदा और मानवीय संकट के चलते एकजुट होकर जिम्मेदारी से कदम उठाने की जरूरत है। कंबोज ने सभी देशों से अपील की कि वे यूएनएससी में सुधारों के लिए प्रयास करें।
कुछ देशों का प्रभाव व क्षमताएं भी बीते दिनों की बात
भारत के शीर्ष थिंक टैंक आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सरन ने कहा कि इस बात का समर्थन नहीं किया जा सकता कि आज की बहु ध्रुवीय दुनिया में, पिछली सदी के युद्ध में जीते कुछ देश आज भी दुनिया का प्रबंधन करें। युद्ध इतिहास की बात है और उसी तरह कुछ देशों का प्रभाव व क्षमताएं भी बीते दिनों की बात हो चुकी है।
यूएनएससी की मौजूदा संरचना विकृत और अनैतिक
समीर सरन ने भी कहा, सुरक्षा परिषद का मौजूदा ढांचा विकृत व अनैतिक है और यह अब भी उपनिवेशवाद की सोच से चल रही है। उन्होंने कहा कि युद्ध का बोझ उपनिवेशी देशों ने झेला और उसका फायदा उपनिवेश बनाने वाले देशों को मिला।
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