नयी दिल्ली। लोकसभा में सूचना का अधिकार कानून संशोधन विधेयक पारित होने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि सरकार इस संशोधन के माध्यम से आरटीआई कानून को खत्म करना चाहती है जिससे देश का हर नागरिक कमजोर होगा। सोनिया ने एक बयान में कहा, ”यह बहुत चिंता का विषय है कि केंद्र सरकार ऐतिहासिक सूचना का अधिकार कानून-2005 को पूरी तरह से खत्म करने पर उतारु है।” उन्होंने कहा, ”इस कानून को व्यापक विचार-विमर्श के बाद बनाया है और संसद ने इसे सर्वसम्मति से पारित किया।
अब यह खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है।” संप्रग प्रमुख ने कहा, ”पिछले कई वर्ष में हमारे देश के 60 लाख से अधिक नागरिकों ने आरटीआई के उपयोग किया और प्रशासन में सभी स्तरों पर पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने में मदद की। इसका नतीजा यह हुआ कि हमारे लोकतंत्र की बुनियाद मजबूत हुई।” उन्होंने कहा, ”आरटीआई का सक्रिय रूप से इस्तेमाल किये जाने से हमारे समाज के कमजोर तबकों को बहुत फायदा हुआ है।” सोनिया ने दावा किया, ”यह स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार आटीआई को बकवास मानती है और उस केन्द्रीय सूचना आयोग के दर्जे एवं स्वतंत्रता को खत्म करना चाहती है जिसे केंद्रीय निर्वाचन आयोग एवं केंद्रीय सतर्कता आयोग के बराबर रखा गया था।” उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार अपने मकसद को हासिल करने के लिए भले ही विधायी बहुमत का इस्तेमाल कर ले, लेकिन इस प्रक्रिया में देश के हर नागरिक को कमजोर करेगी।” गौरतलब है कि लोकसभा ने सोमवार को विपक्ष के कड़े विरोध के बीच सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी। केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने पारदर्शिता कानून के बारे में विपक्ष की चिंताओं को निर्मूल करार देते हुए कहा कि मोदी सरकार पारदर्शिता, जन भागीदारी, सरलीकरण, न्यूनतम सरकार…अधिकतम सुशासन को लेकर प्रतिबद्ध है।