आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़:
हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग द्वारा अधिसूचित सेवाओं का निर्धारित समय-सीमा के भीतर निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे अपने प्रयासों के तहत पहली जुलाई, 2020 से 30 जून,2021 की अवधि के दौरान राशन कार्ड जारी करने के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग से संबंधित मामलों में हुई देरी के संबंध में प्राप्त जवाब पर कार्यवाही करते हुए एक मामले में आयोग ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए मात्र 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया, जबकि 31 मामलों में हुई देरी के लिए 20,000 रुपये प्रति मामले की दर से 6.20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता था। इसके अतिरिक्त, आयोग ने कुछ अन्य मामलों में जुर्माना लगाने के आदेश जारी करने का निर्णय लेने और तकनीकी कारणों से हुई देरी से संबंधित मामलों में विभाग को अपनी टिप्पणी देने के लिए कहा है।
कुल 552 आवेदनों में से 523 का समय पर निपटान किया
आयोग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार पानीपत और पलवल में राशनकार्ड जारी करने के क्रमश: 56 व 39 मामलों में देरी के लिए पांच कर्मचारियों को और गुरुग्राम व यमुनानगर में दो-दो मामलों में देरी के लिए तीन कर्मचारियों को जिम्मेदार पाया गया था। इसके अतिरिक्त, विभाग द्वारा भेजी गई मासिक आरटीएस प्रदर्शन रिपोर्ट के अनुसार विभाग की सेवाओं के लिए प्राप्त कुल 552 आवेदनों में से 523 का समय पर निपटान किया गया, चार आवेदनों का आरटीएस से बाहर निपटान किया गया और 29 आवेदन प्रक्रियाधीन थे।
ईंट भट्ठा शाखा के तहत सेवाओं के लिए कुल 23 आवेदन प्राप्त
इसी प्रकार, जिला करनाल, रेवाड़ी, हिसार और सोनीपत में राशनकार्ड सरेंडर करने के चार मामलों में इंटरनेट कनैक्शन की खराबी को सरेंडर प्रमाण पत्र जारी करने में हुई देरी का कारण बताया गया, जिसके लिए इंटरनेट कनैक्शन की खराबी के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी। ईंट भट्ठा शाखा के तहत सेवाओं के लिए कुल 23 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 20 आवेदनों का समय पर और दो आवेदनों का आरटीएस समय सीमा के बाद निपटान किया गया। रिपोर्ट में बताया गया कि एएफएसओ जगाधरी के बीमार होने और आवेदन पर कार्यवाही न करने के कारण इन दो मामलों में देरी हुई। अत: इस संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए डीएफएससी यमुनानगर को नोटिस जारी किया गया।
56 मामलों में निरीक्षक भूपेन्द्र अहलावत को संज्ञान नोटिस जारी
उन्होंने बताया कि नौ कर्मचारियों को अधिसूचित सेवाओं के समय पर निपटान में देरी का कारण बताने के लिए नोटिस दिये गये थे। पलवल के पांच मामलों में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के निरीक्षक श्री ब्रह्मï दत्त, आठ मामलों में उप-निरीक्षक श्री योगेश, अन्य आठ मामलों में निरीक्षक बेद सिंह एवं 31 मामलों में उप-निरीक्षक रवि प्रकाश को, यमुनानगर के एक मामले में डीएफएससी कुशल पाल बुरा, अम्बाला के दो मामलों में उप-निरीक्षक बालक राम, गुरुग्राम के एक-एक मामले में निरीक्षक श्री प्रेम पूर्ण सिंह एवं निरीक्षक अनु और पानीपत के 56 मामलों में निरीक्षक भूपेन्द्र अहलावत को संज्ञान नोटिस जारी किया गया था और उन्हें 22 अप्रैल ,2022 तक जवाब भेजने और 26 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से या वी.सी. के माध्यम से आयोग के समक्ष पेश होने के आदेश दिए गए थे।
आयोग ने विभाग को होडल ब्लॉक के आवेदनों के संबंध में दिए गए जवाब पर टिप्पणी मांगी
श्री ब्रह्मï दत्त को छोडक़र शेष सभी से समय पर जवाब प्राप्त हुए और वे वी.सी. के माध्यम से आयोग के समक्ष प्रस्तुत हुए। उन्होंने बताया कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के निरीक्षक ब्रह्मदत्त से नोटिस का जवाब न मिलने पर आयोग ने विभाग को दत्त से सहयोग न करने के लिए स्पष्टीकरण देने और आयोग को उसकी नियुक्तियों की विस्तृत जानकारी देने के आदेश दिए हैं ताकि मामले में आगे कार्यवाही की जा सके। इसी प्रकार, आयोग उप-निरीक्षक श्री योगेश के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ कि देरी के आठ मामलों मेें से चार मामले होडल ब्लॉक के हैं जबकि वह पलवल सर्कल में कार्य कर रहा था और चार आवेदन उनकी लॉगिन पर दिखाई नहीं दे रहे जो संबंधित एएफएसओ के पास लम्बित हो सकते हैं। इस संबंध में आयोग ने विभाग को होडल ब्लॉक के आवेदनों के संबंध में दिए गए जवाब पर उसकी टिप्पणी मांगी है।
समय पर राशि जमा न करवाने पर होगी कार्यवाही
निरीक्षक बेद सिंह, निरीक्षक अनु और निरीक्षक भूपेन्द्र अहलावत द्वारा अपने जवाब में आवेदनों पर समय पर कार्यवाही न होने के लिए तकनीकी कारणों को जिम्मेदार बताए जाने पर आयोग ने विभाग को तकनीकी मुद्दों साथ-साथ बिजली एवं इंटरनेट की कमी के संबंध में अपनी टिप्पणी देने और विभाग की कार्यवाही के सुचारू संचालन के लिए इनकी बेहतर आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा है। उप-निरीक्षक रवि प्रकाश ने अपने जवाब में बताया कि कोविड महामारी के कारण उत्पन्न कनैक्टिविटी समस्या और उसके बेटे के बीमार होने के कारण वह अपनी डï्यूटी समय पर पूरी नहीं कर पाया। आयोग ने उसकी परिस्थितियों को सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए उसके कारण 31 मामलों में हुई देरी के लिए उस पर मात्र 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया जबकि 20,000 रुपये प्रति मामले की दर से उस पर 6.20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता था। यदि यह राशि समय पर जमा न कराई गई तो आयोग कानून के अनुसार आगे की कार्यवाही करेगा।
समय पर राशि जमा न करवाने पर होगी कार्यवाही
ईंट भट्टालाइसेंस जारी करने के संबंध में हुई देरी के लिए दिए गए अपने विस्तृत जवाब में डीएफएससी श्री कुशल पाल बुरा ने तहसीलदार रादौर और जगाधरी के एएफएसओ विरेन्द्र कुमार को सेवा प्रदान करने में हुई इस देरी के जिम्मेदार ठहराया। आयोग उसके जवाब से संतुष्टï था और आयोग द्वारा तत्कालीन तहसीलदार रादौर और जगाधरी के एएफएसओ वीरेन्द्र कुमार को आवेदन के निष्पादन में हुई देरी का कारण बताने के लिए स्वत: नोटिस जारी किया गया है। आयोग द्वारा बालक राम और प्रेम पूर्ण सिंह को 20 मई,2022 तक अपना जवाब प्रेषित करने का अवसर दिया गया है और ऐसा न करने पर आयोग द्वारा यह मान लिया जाएगा कि उन द्वारा दी गई मौखिक जानकारी गलत है और उन पर जुर्माना लगाने के आदेश जारी करेगा।
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