रोहतक : महिला किसानों ने संसद की कार्रवाई में लिया भाग

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Participated in the proceedings of the Farmers' Parliament at Jantar Mantar
Participated in the proceedings of the Farmers' Parliament at Jantar Mantar

संजीव कुमार, रोहतक :

प्रेस के नाम जारी एक बयान में आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अनूप सिंह मातनहेल ने बताया कि हमारे संगठन से जुड़ी महिला किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले प्रकाश देवी के नेतृत्व में अपने अन्य साथियों शारदा दीक्षित, नीतू खन्ना, आशा रानी तथा पुष्पा के साथ आज जंतर मंतर पर किसान संसद की कार्रवाई में भाग लिया। आज का विषय था “आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020″।  चर्चा में भाग लेते  हुए प्रकाश देवी ने कहा कि मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 को रद्द कर दिया है जिससे अनाज, दाल, तिलहन, वनस्पति तेल तथा आलू-प्याज के स्टाक पर लगी लिमिट के हटा लेने से कृषि उपज के व्यापार में लगे बड़े बड़े-बड़े कापोर्रेट घरानों को आवश्यक वस्तुओं की अपने गोदामों में जमाखोरी करने की छूट मिल गई है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम किसानों और उपभोक्ताओं के हित में न होकर कृषि उपज के व्यापार में लगे कारपोरेट घरानों व बड़े-बड़े पूंजीपतियों के हित में है।

जमाखोरी में छूट मिलने से कॉरपोरेट घराने कौड़ियों के दाम पर अनाज, दाल, तिलहन, वनस्पति तेल, आलू, प्याज आदि खरीद कर असीमित स्टाक करेंगे और बाद में मनमाने दामों पर उपभोक्ताओं को बेचेंगे। जैसा सबको पता है कि आलू-प्याज-टमाटर 2 रूपए प्रति किलो लेकर 40-50-100 रुपए प्रति किलो तक बेचा जाता है। सरसों का तेल जो सीजन से पहले  70-80 प्रति लीटर था, स्टाक करने के बाद आजकल 200-220 रुपए प्रति लीटर तक बेचा जा रहा है। इस संशोधित अधिनियम से आलू -प्याज की तरह सभी प्रकार के अनाज, दालें तथा वनस्पति तेल कई गुना रेट पर उपभोक्ताओं को बेचे जाएंगे। देश के गरीब मेहनतकश लोग पहले ही महंगाई से त्रस्त हैं, पिछले लगभग डेढ़ साल से कोरोना महामारी के कारण काम धंधे ठप हैं, रिकार्ड तोड बेरोजगारी है,आमदनी का कोई  जरिया है नहीं। संशोधित अधिनियम के लागू होने से कालाबाजारियों पर कार्रवाई करने के सरकार के अधिकार खत्म हो गये हैं क्योंकि जमाखोरी कालाबाजारी को कानूनी दर्जा मिल गया है। इसलिए यह कानून किसान विरोधी है और काला ही काला है। यह किसी भी प्रकार से किसानों, मजदूरों, महिलाओं तथा आम लोगों के हित में नहीं है। अध्यक्ष महोदय, हम इस संशोधित विधेयक का कड़ा विरोध करते हैं तथा इसे तुरंत वापस लेने की सरकार से मांग करते हैं।