संजीव कुमार, रोहतक
एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के प्रदेश कार्यालय भरत कालोनी में बांग्लादेश की बासद (मार्क्सवादी) पार्टी के संस्थापक महासचिव व प्रमुख क्रांतिकारी नेता कॉमरेड मुबिनुल हैदर चौधरी की फोटो पर पुष्प अर्पित कर श्रंद्धाजलि दी। वे 87 वर्ष के थे। उनकी याद में 2 मिनट का मौन रखा गया व पार्टी की ओर से शोक प्रस्ताव पढा गया।
कामरेड अनूप सिंह, राज्य सचिवमण्डल सदस्य, हरीश कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, एआईडीएसओ हरियाणा, पार्टी राज्य कमेटी सदस्य राजकुमार, एआईयूटीयूसी के जिला अध्यक्ष रामनिवास व अन्य ने श्रंद्धाजलि दी। कामरेड अनूप सिंह ने बताया कि कॉमरेड मुबिनुल हैदर चौधरी के क्रांतिकारी राजनैतिक जीवन की शुरूआत भारत में हुई। वे 1951 में महान मार्क्सवादी चिंतक, एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के संस्थापक महासचिव कॉमरेड शिवदास घोष के सम्पर्क में आकर क्रांतिकारी विचारों से शिक्षित और अनुप्राणित हुए और उन्होंने प्रचलित जीवन की तमाम चीजों का आकर्षण त्यागकर क्रांतिकारी संघर्ष में अपने को समर्पित कर दिया।
इस देश में रहने के दौरान कांग्रेस सरकार के खिलाफ अनेक जन आंदोलनों में संग्रामी भूमिका निभाने की वजह से वे कई बार जेल गए और पुलिस जुल्म के शिकार हुए। इस देश में उन्होंने मजदूर वर्ग के संघर्ष में, गरीब किसान और खेत मजदूर आंदोलन में, युवा और सांस्कृतिक आंदोलन में तथा साम्प्रदायिकता विरोधी संघर्ष में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी और एक दक्ष संगठनकर्ता के रूप में विकसित हुए थे। उन्होंने दिल्ली और हरियाणा राज्य में एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे 1972 में अपनी जन्मभूमि बांग्लादेश गए और वहां पूरी तरह से अकेले ही संघर्ष की शुरूआत कर तमाम बाधाओं और प्रतिकूलताओं पर विजय हासिल करते हुए अनेक छात्र, युवाओं, बुद्धिजीवियों और गरीब आम लोगों को प्रेरित कर बांग्लादेश में सही कम्युनिस्ट पार्टी बासद (मार्क्सवादी) की स्थापना की। बाद में विभिन्न जटिल रोगों से ग्रस्त होकर और बुढ़ापे की वजह से शारीरिक तथा मानसिक सीमाबद्धताओं के बावजूद उन्होंने इस क्रांतिकारी संघर्ष को जारी रखा।