संजीव कुमार, रोहतक:
विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक प्रगति का रास्ता उत्कृष्ट शोध से प्रशस्त होगा। गुणवत्तापरक शोध आलेख प्रकाशन समय की जरूरत है। इसके लिए प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों को विश्व स्तरीय शोध प्रकाशनों का अध्ययन करना होगा। गुणवत्तापरक शोध का मंत्र आज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने विवेकानंद पुस्तकालय द्वारा आयोजित- ई-रिसोर्सेज आप्टीमाइजेशन इन रिसर्च प्रोडक्टीविटी विषयक ई-कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए दिया।
मदवि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों के शोध प्रकाशन संबंधित क्षमता संवर्धन के लि इस प्रकार के कार्यशालाओं का आयोजन भविष्य में भी करेगा। कुलपति ने कहा कि मदवि मिशन 2025 के तहत योजनाबद्ध ढंग से कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि सन् 2025 तक भारत के श्रेष्ठ 25 विश्वविद्यालयों की श्रेणी में एमडीयू शुमार हो।
कार्यशाला के प्रारंभ में मदवि के लाइब्रेरियन डा. सतीश मलिक ने कार्यशाला बारे विस्तारपूर्वक बताया। डा. मलिक ने कहा कि ई-संसाधनों के उपयोग से वैश्विक नवीनतम जानकारी उपलब्ध होती है। जिसका लाभ शोध कार्य में होता है। प्रतिष्ठित शोध प्रकाशन एल्सीवर के क्षेत्रीय प्रबंधक (दक्षिण एशिया) नितिन रावत ने स्कोपस के मापदंडों के तहत एमडीयू की शोध उपलब्धियों का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से विज्ञान क्षेत्र में मदवि के प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों की उल्लेखनीय उपलब्धि है। तकनीकी परामर्शदाता विशाल गुप्ता ने स्कोपस, साइंस डाइरेक्ट तथा मेंडले के उपयोग के जरिए प्रभावी शोध की बारीकियों पर प्रकाश डाला। ई कार्यशाला का संचालन पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. निर्मल कुमार स्वैन ने किया। आभार प्रदर्शन सूचना वैज्ञानिक डा. सुंदर सिंह ने किया। इस कार्यशाला में लगभग 200 प्रतिभागी शामिल हुए। यह कार्यशाला 27 अगस्त तक आयोजित की जाएगी।