संजीव कुमार, रोहतक :
महर्षि वेद व्यास जयंती (गुरु पूर्णिमा) पर अखिल भारतीय साहित्य-परिषद रोहतक-इकाई द्वारा काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें डा. अंजू शर्मा पांडेय की अध्यक्षता में डा. मधुकांत मुख्य अतिथि एवं डा. विश्व बंधु शर्मा मुख्य वक्ता और राष्ट्रीय गीतकार वीरेंद्र मधुर एवं डा. वेद प्रकाश श्योराण विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित रहे। परिषद के महामंत्री डा. जगदीश आचार्य ने सभी का स्वागत करते हुए गुरु की महिमा का गुणगान किया। डा. महिमा शर्मा ने मां शारदे को नमन करते हुए एक चिराग से चिराग जलाएं जा गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय संगठन मंत्री डा. मनोज भारत द्वारा रचित व स्वर्गीय प्रो. रामसजन पांडेय जी को समर्पित पुस्तक “जो पढ़ा, जैसा लगा” का विमोचन डा. अंजू शर्मा पांडेय द्वारा किया गया। डा. मनोज भारत ने कहा कि प्रो. पांडेय जैसा गुरु मिलना आज के दौर में दुर्लभ है, अपने सभी शिष्यों को पुत्रवत स्नेह देने वाले महान गुरु को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
सभी साहित्यकारों ने प्रो. पांडेय से जुड़े अपने संस्मरणो को सांझा किया। प्रो. विश्व बन्धु शर्मा ने कहा कि प्रो. पांडेय जैसा आलोचक, काव्य शास्त्र के ज्ञाता उन्हें कोई और दिखाई नही देता। डा. वेदप्रकाश श्योराण ने उन्हें सच्चे और अच्छे गुरु की संज्ञा दी। प्रो. मनमोहन शर्मा ने प्रो. पांडेय को उत्तम समीक्षक, श्रेष्ठ आलोचक, और सिद्ध वाणी का व्यक्तित्व कहा। अर्चना कोचर ने उन्हें सरलमना और अहंकार रहित व्यक्ति बताया। अखिल भारतीय साहित्य-परिषद, रोहतक इकाई अध्यक्ष डा. आशुतोष कौशिक ने प्रो. रामसजन पांडेय के नाम पर एक पुरस्कार प्रतिवर्ष देने की घोषणा की। काव्य- गोष्ठी में सुनीता बहल ने “जवानी जोश, जिंदादिली का नाम है” डा. राजकुमार जमदग्नि ने “पतंग की तरह हो गया इंसान भी” व अर्चना कोचर ने “मैं औरत हूँ” , डॉ. सुदामा प्रसाद ने ” मैं नही मुरझाऊंगा”, डा. आशुतोष कौशिक ने ” कोविड का डर सताए” रचना का पाठ किया।राष्ट्रीय गीतकार वीरेंद्र मधुर ने “चेहरा -चेहरा उदास बैठा है रचना से सभी को भाव-विभोर कर दिया। काव्य गोष्ठी में डा. जगदीश आचार्य, डा. पारिजात पांडेय, डा. सुमन राठी, पिनाकी देव, लक्ष्मी नारायण शर्मा, मनु शर्मा, अरुण आर्य, सतीश शर्मा एडवोकेट आदि उपस्थित थे।