हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी जीवन रेखा योजना जिसने आज नेशनल वायरल हैपेटाइटिस प्रोग्राम का रूप ले लिया है, उसके बहुत सार्थक परिणाम निकल कर आ रहे हैं। प्रतिदिन अनेकों पीलिये (हैपेटाइटिस ए एवं ई) व काले पीलिये (हैपेटाइटिस बी व सी) के मरीजों को नया जीवनदान दिया जा रहा है, वह भी बिल्कुल निशुल्क।
विश्व हैपेटाइटिस डे
इसी की जागृति फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 28 जुलाई को विश्व हैपेटाइटिस डे मनाया जाता है। हरियाणा सरकार ने भी इस वर्ष कोविड नियमों के तहत इसको मनाने के लिए आदेश हर जिले के सिविल अस्पतालों, मेडिकल कालेजों व मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर, गैस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग पीजीआईएमएस को दिए हैं। इसके तहत स्क्रीनिंग एवं जागृति कैंपों का आयोजन तथा पम्पलेट का वितरण किया जाएगा।
नेशनल वायरल हैपेटाइटिस कंट्रोल प्रोगाम
हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने काले पीलिये के विरूद्व निशुल्क जीवनरेखा योजना शुरू की थी और इसकी सफलता को देखते हुए इसे केंद्रीय स्तर पर अपनाकर नेशनल वायरल हैपेटाइटिस कंट्रोल प्रोगाम का रूप मिला। इसके तहत पूरे भारत में अब काले पीलिये के मरीजों को निशुल्क इलाज दिया जा रहा है।
सभी मरीजों का निशुल्क इलाज
हरियाणा सरकार के जीवनरेखा स्कीम के तहत काले पीलिये के सभी मरीजों का निशुल्क इलाज जिले के अस्पतालों में मिल जाता है और जटिल मरीजों को पीजीआईएमएस के गैस्ट्रोएंट्रोलोजी विभाग जोकि इसका माडल ट्रीटमेंट सेंटर है वहां भेज दिया जाता है क्योंकि यहां प्रतिदिन एंडोस्कोपी, फाइब्रोस्कैन इत्यादि की सुविधा निशुल्क उपलब्ध है।
लोगों को निशुल्क इलाज उपलब्ध
गैस्ट्रोएंट्रोलोजी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रवीण मल्होत्रा इस मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर के इंचार्ज हैं और देश की नेशनल वायरल हैपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम की उच्चस्तरीय कमेटी के सदस्य हैं, जिसके तहत इस प्रोग्राम का संचालन किया जाता है। डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि हरियाणा सरकार काले पीलिये का प्रति मरीज आने वाला हजारों रूपए का खर्च खुद वहन कर लोगों को निशुल्क इलाज उपलब्ध करवा रही है और लाखों लोगों को जीवनदान दे चुकी है। हरियाणा देश का पहला राज्य है जहां आप भारत के किसी भी हिस्से से आकर अपना इलाज निशुल्क करवा सकते हैं। कोविड को देखते हुए सरकार की तरफ से मरीजों को तीन माह की दवाई एक साथ मुहय्या करवाई जा रही है।
लिवर के खराब होने के तीन प्रमुख कारण
डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि पूरे विश्व में लिवर के खराब होने के तीन प्रमुख कारण हैं शराब, मोटापा व काला पीलिया। इसलिए अपने लीवर को स्वस्थ रखने के लिए शराब अथवा अन्य प्रकार का नशा ना करें, मोटापे से बचने के लिए नियमित व्यायाम एवं स्वच्छ व पौष्टिक आहार लें। काले पीलिये से बचने के लिए इलाज के वक्त नई सुईं का प्रयोग सुनिश्चित करें और काला पीलिया होने पर किसी भी सिविल अस्पताल, मेडिकल कालेज व पीजीआईएमएस रोहतक में निशुल्क इलाज करवाएं।
गर्भवती महिला में काला पीलिया टैस्ट
उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार का विशेष ध्यान गर्भवती महिलाओं में काले पीलिये का पता लगाने का है ताकि जिनमें यह पाया जाता है तो उनका उचित इलाज कर मां से बच्चे में जाने से इसे रोका जा सके और मां को भी स्वस्थ रखा जा सके। इसी के तहत हर गर्भवती महिला में काला पीलिया (हैपेटाइटिस बी) टैस्ट किया जाता है और जिनमें किटाणु की मात्रा ज्यादा पाई जाती है, उन्हें 7 वें माह की गर्भावस्था से दवाई शुरू कर दी जाती है।
निशुल्क पहली खुराक
नवजात के जन्म होने पर 24 घंटे के अंदर उसे हैपेटाइटिस बी इंम्युगलोबिन एवं हैपेटाइटिस बी वैक्सिन की निशुल्क पहली खुराक दे दी जाती है। यह बच्चा जब एक वर्ष का हो जाता है तो उसका काला पीलिया टेस्ट किया जाता है कि वह इससे संक्रमित हुआ है या नहीं। यह रिसर्च पीजीआईएमएस में पिछले चार वर्ष से तीन चिकित्सकों के नेतृत्व में की जा रही है, जिसमें डॉ. प्रवीण मल्होत्रा, गायनी विभाग से डॉ. वाणी मल्होत्रा व माइक्रोबॉयोलोजी विभाग से डॉ. परमजीत सिंह गिल शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि शोध में पाया गया कि इनमें से 125 महिलाओं के बच्चे एक साल के उपरांत हैपेटाइटिस बी से मुक्त पाए गए हैं। इससे यह साबित होता है कि हैपेटाइटिस बी की दवाईयों व इंम्युगलोबिन से मां से बच्चे के अंदर हैपेटाइटिस बी को जाने से पूर्णतया रोका जा सकता है।