एमडीयू में प्रोफेशनल एथिक्स पर कार्यक्रम में सीखे गुर

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Learn in the program on Professional Ethics

संजीव कौशिक, Rohtak News:
शिक्षकों में नैतिक मूल्यों और उत्कृष्ट आचार-विचार के महत्त्व को रेखांकित करते आज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में प्रोफेशनल एथिक्स एंड प्रेसक्राइब्ड कोड ऑफ कंडक्ट फॉर टीचर्स विषयक संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किया।

एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यक्रम में लिया भाग

एमडीयू के फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर के तत्वावधान में आयोजित इस एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यक्रम में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली क प्रो. वाइस चांसलर प्रो. उमा कांजीलाल ने बतौर मुख्य अतिथि और वक्ता ने शिरकत की। मुख्य अतिथि प्रो. उमा कांजीला ने कहा कि शिक्षकों में एकेडमिक इंटीग्रिटी का होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का दर्जा समाज में बहुत ऊंचा है।

ऐसे में शिक्षकों में नैतिक आचरण होना जरूरी है। प्रो. उमा कांजीलाल ने क्या सही है, क्या गलत है, इस बात पर आत्ममंथन करने की बात कही। उन्होंने बतौर शिक्षक विभिन्न दायित्त्वों का निर्वहन करते हुए किस प्रकार प्रोफेशनल ऐथिक्स पर ध्यान देना है, इसकी रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने शिक्षकों के कोड आॅफ कंडक्ट पर भी चर्चा की।

सूचना समाज में सीखने होंगे प्रौद्योगिकी टूल्स

एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने इस कार्यशाला में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि हम आज सूचना समाज के दौर में हैं। इस दौर में प्रत्येक शिक्षक को समय के साथ कदमताल करते हुए नवीनतम प्रौद्योगिकी के टूल्स सीखने होंगे। साथ ही, नैतिक मूल्यों तथा उपयुक्त आचरण बारे भी आत्म मंथन करना होगा। कुलपति ने ई-टीचिंग-लर्निंग से जुड?े का आह्वान शिक्षकों से किया।

शिक्षकों में एथिक्स की बहुत जरूरत

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डीन, कालेज डेवलपमेंट काउंसिल प्रो. ए.एस. मान ने कहा कि शिक्षकों में एथिक्स का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने ऐथिक्स की महत्ता को रेखांकित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में एफडीसी की उपनिदेशिका डा. माधुरी हुड्डा ने कार्यशाला की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि इस संवेदीकरण का उद्देश्य शिक्षकों में सेल्फ एक्चुलाइजेशन का रास्ता प्रशस्त करता है।

एफडीसी के निदेशक प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि शिक्षकों को न केवल विषय विशेषज्ञ होना होगा, बल्कि करूण व्यवहार, सामाजिक ताना-बाना का ज्ञान, विषय के प्रति अनुराग तथा उच्च कोटि का आचरण बेहद जरूरी है। मंच संचालन तथा आभार प्रदर्शन सहायक प्रोफेसर डा. दर्शना चौधरी ने किया। इस कार्यशाला में लगभग 75 प्राध्यापकों ने भाग लिया।

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