(Rohtak News) रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री के सानिध्य में शुक्रवार को दुर्गा नवमी पर्व भक्तिभाव और हर्षोल्लास से मनाया । नवरात्र के नौवें दिन माँ दुर्गा के आठवे और नोवे सवरूप की साध्वी मानेश्वरी देवी और भक्तों ने श्रद्धा से पूजा अर्चना की और उज्जवल भविष्य की कामनाएं मांगी।
साध्वी ने भक्तों संग माँ जगदंबे के स्वरूप में आईं कन्याओं के चरण धोकर, हाथों पर रोली-मोली बांधकर, माथे पर तिलक, श्रृंगार का सामान देकर, उनकी पूजा व आरती की तत्पश्चात उन्हें छोले-पूरी-हलवा, नारियल का प्रसाद देकर माथा टेका और आशीर्वाद प्राप्त किया।
भक्तों ने नौ दिन बाद आज श्रद्धापूर्वक व्रत खोला। कार्यक्रम में प्रात: हवन, मंत्रोच्चारण व विधि-विधाननुसार से दुर्गा स्तुति पाठ का समापन, कन्याओं का पूजन, भजन प्रवाह, साध्वी के प्रवचन, कीर्तन, आर्शीवचन, पंडित अशोक शर्मा द्वारा आरती तत्पश्चात भंडारे का प्रसाद वितरित किया गया। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।
साध्वी मानेश्वरी देवी ने दुर्गा नवमी पर सत्संग करते हुए कहा कि बिना सत्संग के मनुष्य में विवेकता नहीं आती है। तुलसीदास श्रीराम चरितमानस में लिखते हैं कि बिन सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। जब हम सत्संग में जाएंगे तभी विवेक होगा, नही तो हम तब तक अधूरे होंगे जब तक जीवनकाल में किसी सत्संग में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा है कि जिस प्रकार पारस पत्थर के संपर्क में आने से लोहा सोना हो जाता है, ठीक उसी प्रकार सत्संग का इतना असर होता है कि बुरा व्यक्ति भी संस्कारवान बन जाता है। इसीलिए श्रीरामचरितमानस की प्रत्येक चौपाई महामंत्र है। इसे जो भी व्यक्ति ध्यान और मन लगाकर इसका अध्ययन कर पालन करता है उस व्यक्ति को पुनर्जन्म से मुक्ति मिल जाती है।
नी मैं आज नचना मैय्या दे द्वार मैंनू नच लेन दे…
भजन पर मंत्रमुग्ध हुए माँ दुर्गा के भक्तजन
कार्यक्रम में भजनों की प्रस्तुतियों के बीच सुरीली आवाज में माँ के भजन गाकर भक्तों को नाचने झूमने और भक्ति के रस में डूबोए रखा। मंडली द्वारा आज मैं नचना मैय्या दे द्वार मैंनू नच लेन दे, कूंडा खोल या ना खोल खडकाई जावांगे, तूने मुझे बुलाया शेरावालिएं मैं आया आया ज्योता वालिए, मेला देखण जाणा सै, ओ हो ताली बाजण दे और मैं कमली हो गई मां दे द्वारे, श्रद्धा ने नाल बुला लिता, माएं नी माएं छटें मेरां वाले मार दे, भक्तिमय भजन गाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया।
साध्वी मानेश्वरी देवी ने प्रवचन देते हुए कहा कि मां तक पहुंचने का साधन है श्रद्धा और विश्वास। मां को पाने का साधन है श्रद्धा। श्रद्धा वह है जो लाभ-हानि, जय-पराजय, सफलता-असफलता में अविचल-अटूट-अडिग बनी रहे। अटल विश्वास, अटूट श्रद्धा की शक्ति असीम है। अपने प्रवचनों में कहा कि मां का नाम बीज है। बीज में अपरिमित शक्ति है, लेकिन उसके लिए जमीन चाहिए।
मन ही वह भूमि है जिसमें मां की कृपा का अवतरण होना है। यदि मन आपका पवित्र नहीं है तो चाहे ढेरों मंत्रों का जाप करें, कितने ही स्त्रोतों का पाठ करें मां की कृपा का दर्शन नहीं होगा। मां परखती हैं आपका ईमान, आपका चरित्र, आपकी वृति, आपका स्वाभाव, आपकी श्रद्धा। अत: इन सबमें पारदर्शिता लाओ और फिर देखो मां की कृपा कैसे आपके जीवन में बरसती है।
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