इंडो-पेसिफिक एकेडमी ऑफ फोरेंसिक ओडोंटोलोजी 2022 की आठवीं अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन

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8th International Conference organized
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संजीव कौशिक, Rohtak News:                                 
पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के फोरेंसिक मेडिसन विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. धत्तरवाल व प्रो. जितेंद्र जाखड़ को चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, पंजाब में आयोजित इंडो-पेसिफिक एकेडमी ऑफ फोरेंसिक ओडोंटोलोजी 2022 की आठवीं अंर्तराष्ट्रीय कांफ्रेंस में पेपर प्रस्तुतिकरण श्रेणी में द्वितीय व तृतीय अवार्ड से नवाजा गया है। उनकी इस उपलब्धि पर गृह मंत्रालय, भारत सरकार में डायरेक्टरेट ऑफ फोरेंसिक सांईस सर्विसेज के निदेशक कम चीफ फोरेंसिक सांईटिस्ट डॉ. एस.के. जैन ने उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

आठवीं अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन

अपनी इस उपलब्धि के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए फोरेंसिक विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार धत्तरवाल ने बताया कि 25 से 27 मई तक चंडीगढ़ में इंडो-पेसिफिक एकेडमी ऑफ फोरेंसिक ओडोंटोलोजी 2022 की आठवीं अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। उन्होंने बताया कि कांफ्रेंस में देश-विदेश से करीब 300 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था और करीब 150 पेपर प्रस्तुत किए गए थे। डॉ. धत्तरवाल ने बताया कि कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने कई सैशन चेयर किए और डॉ. जितेंद्र जाखड़ व डॉ. पंकज छिक्कारा ने भी कई सैशन को-चेयर किए।

ओरल प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किया गया

डॉ. धत्तरवाल ने बताया कि कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने फैकल्टी पेपर प्रस्तुतिकरण की श्रेणी में अपना एक ओरल प्रस्तुतिकरण एजिज सर्जिकल इंप्लांट ऑन बोनी रिमेंस फोस्टरर्स आईडंटिफिकेशन विषय पर प्रस्तुत किया था। इसमें उन्होंने विस्तार से बताया था कि किस प्रकार के अज्ञात व्यक्ति की पहचान पोस्टमार्टम के दौरान उसके शरीर में डले इंप्लांट से की। उन्होंने बताया कि इंप्लांट के माध्यम से अज्ञात व्यक्ति की पहचान हो पाई। डॉ. धत्तरवाल ने बताया कि उनके इस प्रस्तुतिकरण को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

पेपर को तृतीय अवार्ड से नवाजा 

डॉ. जितेंद्र जाखड़ ने बताया कि कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने ए ह्यूमन स्कल विद इंजरी ओवर दा वरटैक्स एंड काएक्जिटेंस ऑफ इंका बॉन ऑन दा सेम साईट विषय पर पेपर प्रस्तुत किया था। उन्होंने बताया कि इस पेपर के माध्यम से बताया था कि इनका बोन और स्कल बोन के बीच सूचर पैदा हो जाते हैं, ऐसे में कई बार नए रेडियोलोजिस्टर व फोरेंसिक के चिकित्सक को उलझन हो जाती है कि यह इनका बोन है या फ्रैक्चर।
डॉ. जितेंद्र जाखड़ ने बताया कि उनके पेपर को तृतीय अवार्ड से नवाजा गया। डॉ.एस.के. धत्तरवाल ने बताया कि उनके अभी तक 163 पब्लिकेशन है, जिसमें 65 अंर्तराष्ट्रीय हैं। वहीं उन्होंने 142 पेपर भी  प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक वें 96 राष्ट्रीय कांफ्रेंस व 6 अंर्तराष्ट्रीय कांफ्रेंस भी अटेंड कर चुके हैं।

इस अवसर पर उपस्थित 

डॉ. धत्तरवाल ने बताया कि उन्होंने 20 जून को हरियाणा पुलिस एकेडमी में डूबने और घला घोटने से हुई मौतों पर भी विस्तार से व्याख्यान दिया था। इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र, डॉ. पंकज छिक्कारा भी उपस्थित थे।

 

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