संजीव कुमार, रोहतक:
हिन्दुस्तान की मिट्टी वीरों की मिट्टी है जिसमें शेर और शेरनी पैदा होते हैं। यहां के सैनिक अपने शूरवीरों की दिखाई राह पर आगे बढ़ते हैं। आज जरूरत है कि देश के युवा भारतीय सेना से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र का सर्वप्रथम रखकर काम करें। यह उद्गार कारगिल युद्ध के हीरो तथा परम वीर चक्र विजेता सुबेदार मेजर योगेन्द्र सिंह यादव ने आज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के राधाकृष्णन सभागार में एनसीसी कैडेट्स तथा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मदवि के अधिष्ठाता छात्र कल्याण कार्यालय तथा एनसीसी ग्रुप हैडक्वार्टर, रोहतक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस व्याख्यान कार्यक्रम में कारगिल की लड़ाई में अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन करने वाले भारतीय सेना के सूरमा योगेन्द्र सिंह यादव ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में युवाओं को राष्ट्र को सर्वप्रथम रखते हुए कार्य करने के लिए प्रेरित किया। योगेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि उन्हें फक्र है कि वे एक सैनिक हैं और किसान के पुत्र हैं।
योगेन्द्र सिंह यादव ने कारिगल युद्ध से जुड़ें संस्मरणों को सांझा करते हुए बताया कि कारगिल युद्ध में 16500 फुट ऊंची टाइगर हिल 30 डिग्री तापमान में बर्फ से ढकी थी। योगेंद्र यादव 20 जवानों के साथ तीसरी रात की सुबह टाइगर हिल की चोटी के पास पहुंचे थे तभी पाकिस्तानी सेना ने देख लिया और गोलियों की बौछार कर दी। भारतीय जवानों ने अदम्य साहस दिखाया और कुल सात जवान हिल पर पहुंचे, अन्य जवान शहीद हो गए। फिर छह और जवान घायल हो गए। योगेंद्र सिंह यादव ने बताया कि वे अपने साथी को चिकित्सीय सेवा दे रहे थे कि इसी दौरान दुश्मन की गोली उनके दोस्त के भेजे को पार करती हुई निकल गई। तभी उन्हें भी कई गोलियां लगीं। वह जख्मी होकर गिर पड़े। दुश्मनों ने उनके सीने पर गोली चलाई तो ऊपर की जेब में रखे पांच रुपये के सिक्के ने उनकी जान बचा ली। शरीर में 17 गोलियां लगीं, जिससे वे बेहोश हो रहे थे। तभी एक पाकिस्तानी सैनिक का पैर उनके शरीर से टकराया, जिसने उन्हें जिंदा होने का अहसास करवाया। जिंदा होने का पता लगते ही उन्होंने खुद को हौंसला दिया कि अब उन्हें कोई नहीं मार सकता। उनके पास एक ग्रेनेड रह गया था, जिसे उन्होंने हथियार लूटकर जा रहे पाकिस्तानी दुश्मनों पर ग्रेनेड फेंक दिया। इसमें कई दुश्मनों की मौत हो गई जो बचे वह जान बचाकर भागे। दुश्मनों के बंकर तबाह कर वे नाले में कूदकर नीचे अपनी ब्रिगेड में पहुंचे और ऊपर के हालात बारे जानकारी दी। जिसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना पर हमला कर टाइगर हिल पर फतह हासिल की। योगेंद्र करीब 16 महीने तक अस्पताल में रहे। उन्हें 19 साल की उम्र में वर्ष 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने परम वीर चक्र से अलंकृत किया।
मदवि कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने इस व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारतीय सेना का लौहा पूरी दुनिया मानती है, जिसका श्रेय योगेन्द्र सिंह यादव जैसे वीर एवं जाबांज सैनिकों को जाता है। उन्होंने कहा कि योगेन्द्र सिंह यादव साहस एवं शौर्य की जीवंत मिशाल हैं और उनका जीवन प्रेरणादायी है। हरियाणा को वीरों की भूमि बताते हुए कुलपति प्रो. राजबीर सिंह यादव ने कहा कि ये हरियाणा और हर हरियाणवी के लिए गर्व की बात है कि देश के लिए बलिदान देने में यह प्रदेश अग्रणी है। कार्यक्रम के प्रारंभ में डीन स्टूडेंट वेल्फेयर प्रो. राजकुमार ने स्वागत भाषण दिया। एनसीसी गु्रप हैडक्वार्टर, रोहतक के कमांडडेंट बिग्रेडियर रोहित नौटियाल ने भी कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के साहस एवं शौर्य को रेखांकित किया। कुलसचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा ने आभार प्रदर्शन किया। निदेशक युवा कल्याण डा. जगबीर राठी ने कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वयन किया। इस अवसर पर सेवानिवृत कर्नल डीएस देसवाल समेत मदवि एवं एनसीसी कार्यालय के अधिकारीगण, विद्यार्थी एवं एनसीसी कैडेट्स उपस्थित रहे।