संजीव कुमार, रोहतक :
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के विवेकानंद पुस्तकालय द्वारा आयोजित ई-रिसोर्सेज आप्टीमाइजेशन इन रिसर्च प्रोडक्टीविटी विषयक ई-कार्यशाला में आज टेलर एंड फ्रांसिस ग्रुप की एसोसिएट मैनेजर्स जैसिका तथा अदिति गोयल तथा मदवि के विवेकानंद पुस्तकालय के सूचना वैज्ञानिक डा. सुंदर सिंह तंवर ने विशेष व्याख्यान दिए। सुबह के सत्र में जैसिका तथा अदिति गोयल ने- हाउ टू एक्सेस टेलर एंड फ्रांसिस ई-बुक्स एंड ई-जर्नल्स विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने टेलर एंड फ्रांसिस प्लटफार्मस का डेमोस्ट्रेशन दिया। दूसरे तकनीकी सत्र में सूचना वैज्ञानिक डा. सुंदर सिंह तंवर ने- नो योर लाइब्रेरी: एन ओवरव्यू आफ नॉलेज रिसोर्स एंड फैसिलिटी प्रोवाइडिड बाय विवेकानंद लाइब्रेरी सिस्टम विषय पर प्रेजेंटेशन दी। उन्होंने आॅनलाइन पब्लिक एक्सेस कैटालॉग का लाइव डेमोस्ट्रेशन दिया। कार्यशाला के प्रारंभ में मदवि के लाइब्रेरियन डा. सतीश मलिक ने स्वागत भाषण दिया। गत दिवस कार्यशाला में कैलेरिवेट एनालिटक्स के विश्व शर्मा तथा प्रकाश चंद ने विशेष विशेष व्याख्यान दिए। इस कार्यशाला में लगभग 200 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
रोहतक, 26 अगस्त। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के संस्कृत पालि एवं प्राकृत विभाग द्वारा आज विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संस्कृत व्याकरण के उदाहरणों में प्रतिबिंबित सामाजिक परम्पराएं विषयक इस विस्तार व्याख्यान में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रो. सुद्युम्न आचार्य ले बतौर विशिष्ट वक्ता शिरकत की। विभागाध्यक्ष डा. सुनीता सैनी के स्वागत भाषण में डॉ. सुद्युम्न की अभूतपूर्व उपलब्धियों से परिचय कराया। अपने सारगर्भित वक्तव्य में प्रो. सुद्युम्न ने तथ्यों के साथ यह प्रतिपादित किया कि प्राचीन भारत के इतिहास, संस्कृति, समाज एवम परम्परा को जानने के लिए व्याकरणिक ग्रंथो में दिए गए उदाहरण एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं, जिन्हें जानने की आवश्यकता है। उन्होंने महाभाष्य, काशिका जैसे प्रतिष्टित प्रामाणिक ग्रंथो के उदाहरणों से इतिहास , समाज एवं परम्परा के अनेक पक्षो पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सिकन्दर के आक्रमण तथा मिनिंडर के आक्रमणों की जानकारी महाभाष्य के क्षुद्रकमालवौ तथा अरुणत यवन साकेतम आदि उदाहरणों से मिलती है। प्रो. सुरेंद्र कुमार के व्याख्यान की समाप्ति पर आभार वक्तव्य में विभागीय छात्रों को शोध के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का संचालन डा. रवि प्रभात ने किया तथा समन्वयन डा. श्रीभगवान एवं डा. सुषमा नारा ने किया। आॅफलाइन/आॅनलाइन मोड में आयोजित इस व्याख्यान कार्यक्रम में सन्नी, हेमंत, मनीष, कृष्ण विकास एवं अन्य शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।