संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवान ने अपने अन्य साथियों के साथ आज तीन कृषि कानूनों और बिजली बिल संशोधन 2020 रद्द करने तथा एमएसपी को कानूनी दर्जा देकर फसल खरीद की गारंटी देने की मांग पर संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए सत्यवान ने कहा कि जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे तब तक हम घरों को वापस नहीं जाएंगे। हर कार्य दिवस को यहां आकर किसान संसद का आयोजन करेंगे। उन्होंने कहा कि ये कानून किसानों के हित में न होकर कॉरपोरेट घरानों के हित में है। कृषि मंत्री बार-बार कह रहे हैं कि कानून वापसी की मांग छोड़कर सरकार इन कानूनों में कुछ भी सुधारों पर वार्ता के लिए तैयार है। साथ ही कह रहे हैं कि इन कानूनों में काला कुछ भी नहीं है, ये किसानों की भलाई के लिए हैं। परंतु सारे देश के किसानों ने समझ लिया है कि ये कानून काले ही काले हैं, इनमें सफेद कुछ भी नहीं है अर्थात किसानों के हित में एक लाइन भी नहीं है। इन कानूनों से एमएसपी तथा मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी।
सरकारी खरीद ना होने से बीपीएल परिवार को मिलने वाला राशन भी बंद हो जाएगा। जमाखोरी में छूट मिलने से कॉरपोरेट घराने कौड़ियों के दाम पर अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, आलू, प्याज आदि आवश्यक वस्तुओं का असीमित स्टॉक करेंगे और बाद में मनमाने दामों पर उपभोक्ताओं को बेचेंगे। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान अपनी जमीनों से हाथ धो बैठेंगे। इन कानूनों को जिन भी देशों ने लागू किया है वहां के अधिकतर किसान जमीन से हाथ धो बैठे हैं। उन्होंने देश के मेहनतकश लोगों का आव्हान किया कि वे आंदोलन में शामिल हों और हर तरह की मदद दें। अब आंदोलन के अलावा बचाव का कोई रास्ता नहीं है। बीजेपी सरकार तानाशाही पर उतर आई है, सरकार की नीतियों का विरोध करने पर देशद्रोह का केस लगा दिया जाता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था की हत्या हो चुकी है। किसान, मजदूर और मेहनतकश जनता की मुक्ति का रास्ता आंदोलन ही है। प्रदर्शनकारी किसानों में काले कानून रद्द करो, बीजेपी सरकार मुदार्बाद, कॉरपोरेट हितैषी सरकार मुदार्बाद, पूंजीपतियों की दलाली करना बंद करो आदि नारे भी लगाए।