संजीव कुमार, रोहतक:
सुप्रसिद्ध रंगकर्मी और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण विभाग के पूर्व सहायक निदेशक डॉ. आनंद शर्मा को डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा ने डी.लिट. की उपाधि से अलंकृत किया गया है। इस उपाधि से पहले डॉ. आनंद शर्मा चार अलग-अलग विषयों में स्नातकोत्तर, हिंदी एवं पत्रकारिता में एम.फिल, दो पीएचडी और कई डिप्लोमा कोर्स के बाद इस सर्वोच्च उपाधि तक पहुंचे हैं। डॉ. आनंद शर्मा के ह्यमीडिया लेखन में कमलेश्वर के योगदान का आलोचनात्मक अनुशीलनह्ण विषय हेतु राष्ट्र की सर्वोच्च शैक्षणिक उपाधि डी. लिट्. के लिए सफल घोषित किया है। डॉ. शर्मा स्वयं अनेक वर्षों से स्वतंत्र पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं और विभिन्न प्रमुख समाचार पत्रों में विविध समसामयिक विषयों पर असंख्य लेख लिख चुके हैं। साथ ही वे आकाशवाणी और दूरदर्शन पर अनेक कार्यक्रमों का सफल संचालन भी करते आ रहे हैं। कमलेश्वर को आदर्श मानते हुए डॉ. आनंद शर्मा अनेकों बार उनसे मिले और बेहद नजदीक से उनकी जीवनशैली से परिचित हुए।
उल्लेखनीय है कि कमलेश्वर ने जहां कहानी और उपन्यास जगत में हिंदी साहित्य में विलक्षण स्थान बनाया, वहीं पत्रकारिता क्षेत्र को नित नए आयाम दिए। उन्होंने दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर को नये क्षितिज दिए। आकाशवाणी और दूरदर्शन के प्रथम आलेख लेखक होने का गौरव भी पाया। कमलेश्वर ने दूरदर्शन के प्रथम महानिदेशक होने के साथ-साथ असंख्य ज्वलंत विषयों पर लघु चित्र व धारावाहिक निर्माण का दायित्व पूर्ण किया।
हिंदी साहित्य के बहुचर्चित और अप्रतिम हस्ताक्षर कमलेश्वर अपनी प्रखर कलम और सहज वाणी प्रवाह से असाधारण साहित्यकार, पत्रकार और फिल्म लेखन में सदैव अग्रणी रहे। एक लेखक और संपादक के रूप में उन्होंने सत्ता एवं व्यवस्था के विरुद्ध आम आदमी की लड़ाई पक्षधरता के साथ लड़ी है। हिंदी कहानी की प्रेमचंद परंपरा को जीवित और जीवंत करने में ताउम्र लगे रहे कमलेश्वर। कमलेश्वर ने अनेक चर्चित पत्रिकाओं का सफल संपादन ही नहीं किया अपितु उन्हें एक नई ऊर्जा भी प्रदान की। वहीं हिंदी साहित्य के बहुचर्चित उपन्यासों की रचना करके अपनी सहज प्रतिभा का अंकन भी किया। उनकी द्वारा लिखित बदनाम बस्ती, डाक बंगला, आंधी, फिर भी, मौसम, आनंद आश्रम, साजन बिन सुहागन, सौतन, अमानुष, छोटी सी बात, पति, पत्नी और वो, मिस्टर नटवरलाल, द बर्निंग ट्रेन, राम बलराम, रंग बिरंगी जैसी फिल्मों की कथा, पटकथा और संवाद लेखन करके हिंदी सिनेमा में साहित्यकारों को विशिष्ट सम्मान दिलाया। साहित्य और पत्रकारिता के पुरोधा कमलेश्वर को साहित्य अकादमी पुरस्कार, प्रेमचंद पुरस्कार, शिव पूजन सहाय सम्मान, प्रथम शिखर सम्मान और केंद्र सरकार द्वारा पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मानों से भी नवाजा गया है। वहीं नोबल पुरस्कार के समकक्ष ह्यराइट लाइवलीहुड प्राइजह्ण भी इन्होंने पाया। कोहिनूर की भांति चमकते इस हीरे को अनेक फिल्मों के लिए भी सर्वोत्तम फिल्म सम्मान मिले। कमलेश्वर लगभग दस वर्ष भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य भी मनोनीत किए गए।
डॉ. आनंद शर्मा स्वयं उत्कृष्ट रंगकर्मी रहे हैं। इनके द्वारा निर्देशित और अभिनीत अनेक नाटकों ने राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम अभिनेता, सर्वोत्तम नाटक और सर्वोत्तम निर्देशक का सम्मान मिला है। डॉ. आनंद शर्मा 28 वर्षों तक महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में कार्यरत रहे और अब सेवानिवृत्ति के पश्चात दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल, सोनीपत में सांस्कृतिक सलाहकार के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. आनंद शर्मा की इस सारस्वत उपाधि के लिए दोनों ही विश्वविद्यालयों में गौरव और हर्ष का वातावरण निर्मित किया। उल्लेखनीय है कि डॉ. आनंद शर्मा हरियाणा प्रदेश में किसी गैर शिक्षक कर्मी द्वारा राष्ट्र की सर्वोच्च डिग्री डीलिट प्राप्त करने वाले पहले और एकमात्र विद्वान हैं।
फोटो फाईल : 7अगस्त1.जेपीजी
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