संजीव कुमार, रोहतक :
पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के नए कुलपति के लिए चंडीगढ़ में साक्षात्कार प्रक्रिया हुई। नए लघु सचिवालय में सर्च कमेटी के सामने 24 में से 14 उम्मीदवार ही पहुंचे। नदारद रहे उम्मीदवारों में कुछ को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। साक्षात्कार में शामिल उम्मीदवारों की नजर अब सर्च कमेटी पर है। कमेटी इनमें से तीन नाम चुनकर राज्यपाल के पास भेजेगी। वहीं से अंतिम फैसला होगा। साक्षात्कार के लिए आनलाइन व आफलाइन दोनों विकल्प दिए गए थे। पीजीआई के कुछ सीनियर डाक्टर व्यस्त तो कुछ छुट्टी पर रहे। इसकी वजह कुलपति पद की दौड़ में शामिल चिकित्सकों का साक्षात्कार प्रक्रिया में हिस्सा लेना बताया गया है। इस कारण कई विभागों के मरीजों को सीनियर चिकित्सक नहीं मिल पाए। उन्हें जूनियर चिकित्सकों से इलाज करवाना पड़ा। यही नहीं, कुछ चिकित्सकों ने आनलाइन तो कुछ ने व्यक्तिगत रूप से कमेटी के समक्ष पेश होकर साक्षात्कार प्रक्रिया में हिस्सा लिया। साक्षात्कार में 14 चिकित्सकों के शामिल होने की चर्चा है। जबकि कुल 24 आवेदकों में से 10 गैर हाजिर रहे। इनमें से कुछ के अनुपस्थित होने की वजह कुलपति पद के लिए अयोग्य होना बताया गया है। इसमें पीजीआई के अलावा बाहर से भी कुछ नाम हैं। बता दें कि वीसी डा. ओपी कालरा का कार्यकाल 28 मई को पूरा हो चुका है। कोविड के चलते उन्हें दो माह की एक्सटेंशन दी गई थी। इसी दौरान विभाग की ओर से कुलपति पद के लिए आवेदन मांगे गए थे। सर्च कमेटी में पूर्व वीसी केके तलवार, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. राजबीर सिंह व जीजेयू के वीसी प्रो. टंकेश्वर के नाम शामिल हैं।
विवि रजिस्ट्रार व पीजीआई निदेशक ने भी दिया साक्षात्कार
स्वास्थ्य विज्ञान विवि के रजिस्ट्रार डा. एचके अग्रवाल, पीजीआई निदेशक डा. रोहताश यादव, पूर्व एमएस डा. अशोक चौहान, हृदय रोग विशेषज्ञ डा. कुलदीप लालड़, शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा. गीता गठवाला, एम्स दिल्ली से डा. राकेश कुमार समेत अन्य ने साक्षात्कार में हिस्सा लिया। इनके अलावा, दूसरे प्रदेशों से भी कुछ नाम हैं। इन्होंने कमेटी के सामने आनलाइन साक्षात्कार दिए हैं। इधर, यूपी के एक पूर्व कुलपति के नाम को साक्षात्कार लिस्ट में शामिल करने पर कुछ लोगों ने ऐतराज जताया है। बाकायदा इसकी शिकायत सरकार को दी गई है। एडवोकेट वीरेंद्र सिंह ने भी मांग की है कि कुलपति प्रदेश का ही रहने वाला लगाया जाए, न कि किसी दूसरे प्रदेश का। ऐसे में अब पीजीआई से भी नया कुलपति मिलने की उम्मीद बन गई है।