नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट प्रदूषण पर बेहद सख्त है। सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करते हुए कहा कि ने केंद्र सरकार प्रदूषण संकट से निपटने के लिए दिल्ली में वायु एयर प्यूरीफायर टावर लगान का रोडमैप तैयार करे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आज दिल्ली में एक्यूआई लेवल तकरीबन 600 है। ऐसे लोग कैसे सांस लेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मसले पर चार राज्यों दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी के प्रमुख सचिवों को तलब किया। न्यायामूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने प्रदूषण स्तर को सुधारने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आॅड ईवन कोई स्थायी समाधान नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि कार प्रदूषण स्तर का 3 प्रतिशत है। कचरा डंपिंग, निर्माण अपशिष्ट और सड़क की धूल भी प्रदूषण के स्तर में प्रमुख योगदान है। दिल्ली सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर आॅड ईवन की स्कीम से दुपहिया वाहनों को बाहर न रखा जाए तो मदद मिल सकती है। अगर दुपहिया वाहनों को इससे बाहर न रखा जाए तो दिल्ली के हालात में सुधार हो सकता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कार प्रदूषण स्तर में 3 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं और बाकी सभी वाहनों ने इसमें 28 प्रतिशत का योगदान दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन पहिया वाहनों की जांच की बात कही और साथ ही रिपोर्ट फाइल करने को कहा। साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग और अन्य नागरिक निकायों को अदालत के आदेशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए निगरानी समिति के साथ सहयोग करने के लिए कहा।