संजीव कौशिक, रोहतक:
अत्यधिक स्पीड और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते सड़क दुर्घटनाओं में काफी इजाफा हो रहा है और ऐसे मामलों में अधिकतर मरीजों की हड्डियां टूटी हुई मिलती हैं। दुनिया भर के ट्रॉमा सेंटरों में आने वाले रोगियों मैं अक्सर यह देखा जा रहा है कि मरीजों में हड्डी के टुकड़े चोट के समय गिर जाते हैं, संक्रमण, हड्डियों का न जुड़ना और पैरों की लंबाई कम होना पाया जाता है। मरीजों को फिर से उनकी दिनचर्या में वापस लाने के लिए रूसी इलिज़ारोव तकनीक काफी कारगर है। यह कहना है हड्डी रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ जितेंद्र वाधवानी का। वे शनिवार को हड्डी रोग विभाग में एक पत्रकार वार्ता में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।
डॉ जितेंद्र वाधवानी ने बताया कि रूसी इलीजाराव तकनीक से एक ही समय में नई हड्डी का निर्माण और अंगों को लंबा करना संभव है। सर्जरी के ठीक बाद मरीज अपने टूटे हुए अंग पर चल सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह एक अत्यधिक बहुमुखी तकनीक है जिसमें तीव्र आघात, विकृति सुधार, पुरानी हड्डी के संक्रमण, लंबी हड्डियों के नोन यूनियन आदि अनेक फायदे शामिल है। डॉ जितेंद्र वाधवानी ने बताया कि वे विभिन्न फ्रैक्चर और सभी उम्र के रोगियों में इस तकनीक के उपयोग में अत्यधिक अनुभवी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सम्मेलन में इस विषय पर सर्वश्रेष्ठ पेपर पुरस्कार भी जीता है और 2019 में यूनाइटेड किंगडम से इस तकनीक में विशेष प्रशिक्षण फेलोशिप भी प्राप्त की है। डॉ जितेंद्र वाधवानी ने बताया कि उन्होंने रूसी इलिजारोव तकनीक के साथ इस तरह की कठिन चोटों के 100 से अधिक मरीजों को आपरेशन के माध्यम से ठीक किया है है। उन्होंने बताया कि सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत पीजीआईएमएस में रूसी इलिजारोव तकनीक से सर्जरी मुफ्त में उपलब्ध है और इस योजना के तहत कई रोगियों ने इसका लाभ उठाया है। डॉ जितेंद्र ने बताया कि आज जिन मरीजों का सफल ऑपरेशन इस तकनीक से किया गया है वह आज आमजन को इस सुविधा के बारे में बताने के लिए पत्रकारों से रूबरू हुए।
डॉ रूप सिंह ने कहा कि हड्डी रोग विभाग अपने विभागाध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता की अध्यक्षता में, उत्तर भारत में किसी भी प्रकार के हड्डी विकार के प्रबंधन के लिए सबसे अच्छे सरकारी केंद्रों में से एक है, जिसमें कूल्हे और घुटने के संयुक्त प्रतिस्थापन, आर्थ्रोस्कोपी घुटने और कंधे, खेल खिलाड़ियों में लिगामेंट पुनर्निर्माण, विकृति सुधार, रीढ़ की सर्जरी, हड्डी के कैंसर, आघात और कठिन फ्रैक्चर आदि शामिल हैं। यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा निशुल्क आपरेशन किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि हड्डी रोग विभाग नए शोध और उच्च गुणवत्ता वाली सर्जरी के साथ दिन-ब-दिन ऊंचाइयों के शिखर की तरफ बढ़ता जा रहा है। डॉ हेमंत मोर ने कहा कि हमें कोई भी हड्डी की चोट लगने पर किसी भी झोलाछाप के पास में ना जाकर अच्छे हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। ठीक होकर आए मरीजों जितेंद्र, सुनील ,विष्णु, प्रेम ने ऑर्थोपेडिक्स विभाग और पीजीआइएमएस के चिकित्सकों का धन्यवाद व्यक्त किया।
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