Risks of cervical cancer: जानिए कौन सी लापरवाही बढ़ा सकती है सर्वाइकल कैंसर का जोखिम

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Risks of cervical cancer

Risks of cervical cancer: शरीर में बढ़ने वाले किसी भी रोग की रोकथाम के लिए उसके बारे में जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। दरअसल, जागरूकता की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ा रही है। भारतीय महिलाओं में दिनों दिन इस रोग का खतरा बढ़ने लगता है।

1. एबनॉर्मल वेजाइनल ब्लीडिंग पर ध्यान न देना

अनियमित ब्लीडिंग और पीरियड के दौरान होने वाला भारी रक्त स्त्राव कैंसर कर लक्षण साबित हो सकता है। कुछ महिलाओं के इंटरकोर्स के बाद भी ब्लीडिंग होती है। मगर अधिकतर महिलाएं इसे सामान्य समझकर इग्नोर करने लगती है। मगर ये लापरवाही कैंसर का कारण बन जाती है।

2. इंटरकोर्स के दौरान दर्द को इग्नोर करना

शरीर में महसूस होने वाले फिज़िकल चेंजिज़ सर्वाइकल कैंसर की ओर इशारा करते हैं। दरअसल, सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) के कारण टिशूज़ की एबनॉर्मल ग्रोथ बढ़ जाती है। ऐसे इंटरकोर्स के दौरान दर्द महसूस होने लगता है। इस समस्या पर ध्यान न देना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित होता है।

3. वेटलॉस का सामना करना

अचानक से शरीर का वज़न बढ़ना और घट जाना किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। सर्वाइकल कैंसर से शरीर में भूख न लगने की समस्या बढ़ जाती है। इससे वज़न कम होने लगता है और कमज़ोरी का अनुभव होता है।

4. यूरिनेशन का बढ़ना

बार बार यूरिन पास करना और यूरिन के दौरान जलन और दर्द का सामना करना सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) के खतरे को बढ़ा सकता है। इसके अलावा यूरिन में ब्लड का आना भी इस समस्या की ओर इशारा करता है। वे लोग जो इस समस्या को अवॉइड करते हैं, उन्हें सर्वाइकल कैंसर का सामना करना पड़ता है।

सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए रखें इन बातों का ध्यान

कैंसर पर भारत सरकार के 2016 की ऑपरेशनल गाइडलाइंस के अनुसार कि 30 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं को हर पांच साल बाद सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग के अलावा स्तन और मौखिक कैंसर की जांच करानी चाहिए। स्क्रीनिंग उप केंद्रों में मौजूद स्टाफ की मदद से की जाती है। वहीं नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार 30 से 49 वर्ष की केवल 1.9 फीसदी महिलाएं ही केवल सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाती हैं। वहीं ब्रेस्ट कैंसर और ओरल कैंसर स्क्रीनिंग की दर 0.9 पर्सेन्ट है।

एचपीवी एक सामान्य वायरस है, जो यौन संपर्क के माध्यम से शरीर में फैलने लगता है। ये सर्वाइकल कैंसर की समस्या को बढ़ा देता है। वहीं एचपीवी वैक्सीन (HPV vaccine) की मदद से शरीर में एंटीबॉडीज़ बनने लगती है, जिससे इम्यून सिस्टम को मज़बूती मिलती है। वैक्सीनेशन लेने से प्रारंभिक संक्रमण और कैंसर के जोखिम से बचा जा सकता है। वहीं सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से 9 से 14 साल तक की लड़कियों को वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित करने की घोषणा की गई है।