सूर्य की कोई भी पूजा उगते हुए सूर्य के समय में लाभदायक सिद्ध होती हैं। रविवार को सुबह स्नान आदि से शुद्ध हो कर सूर्य देव की पूजा करें। अराधना का सर्वोत्म लाभ लेने के लिए कुछ विशेष मंत्रो का जाप करना चाहिए। इन मंत्रों को अपनी पूजा में शामिल करें। और सूर्य मंत्र ऊं सूर्याय नमः के साथ इनका पाठ करें।
ऊं ह्यं ह्यीं ह्यौं सः सूर्याय नमः, ऊं जुं सः सूर्याय नमः ये तंत्रोक्त मंत्र है जिसके ग्यारह हजार जाप पूरा करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। नित्य एक माला पौराणिक मंत्र जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम, तमोडरि सर्वपापघ्नं प्रणतोडस्मि दिवाकरम् का पाठ करने से यश प्राप्त होता हैं और रोग शांत होते हैं।
सूर्य गायत्री मंत्रों ऊं आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्नः सूर्य प्रचोदयात् और ऊं सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रविः प्रचोदयात् के पाठ जाप या 24000 मंत्र के पुनश्चरण से आत्मशुद्धि, आत्म-सम्मान, मन की शांति होती हैं, आने वाली विपत्ति टलती हैं, शरीर में नये रोग जन्म लेने से थम जाते हैं, रोग आगे फैलते नहीं, और शरीर का कष्ट कम होने लगता है।
ऊं एहि सूर्य! सहस्त्रांशो तेजोराशि जगत्पते, करूणाकर में देव गृहाणाध्र्य नमोस्तु ते ये अर्ध्य मंत्र है। इससे सूर्य देव को अर्ध्य देने पर यश-कीर्ति, पद-प्रतिष्ठा पदोन्नति होती हैं। इसके नित्य स्नान के बाद एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें थोड़ा सा कुमकुम मिलाकर सूर्य की ओर पूर्व दिशा में देखकर दोनों हाथों में तांबे का वह लोटा लेकर मस्तक तक ऊपर करके सूर्य को देखकर अर्ध्य जल चढाना चाहिये।