Right To Education Act
आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़:
Right To Education Act : हरियाणा सरकार की ओर से राइट टू एजुकेशन एक्ट में बदलाव करते हुए पांचवी और आठवी कक्षा(Board in fifth and eighth) को फिर से बोर्ड बनाने का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसके बाद अब अभिभावकों के साथ साथ बच्चों की परेशानी बढ़ना तय है। (Right To Education Act)
एचपीएससी ने बताया तुगलगी फरमान Right To Education Act
अभी तक बच्चे निश्चित थे कि आरटीई के अनुसार उन्हें आठवीं तक कोई फेल नहीं कर सकता, दूसरी तरफ इस मामले में हाईकोर्ट में केस लड़ रही हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस (एचपीएससी) के पदाधिकारियों ने सरकार के इस फैसले को तुगलगी फरमान बताया है। उन्होंने कहा कि इस समय में लिया गया यह फैसला न तो अभिभावकों के लिए न्यायसंगत है और न ही बच्चों के भविष्य के लिए। (Suresh Chandra)
एसपीएससी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र ने कहा कि सरकार ने पहले हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी के माध्यम से लेटर निकाला और प्रदेश में चल रहे सभी निजी व अन्य स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के आठवी के बोर्ड एग्जाम लेने की बात कहीं। उन्होंने कहा कि आरटीई लागू होने से पहले भी हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी का सीबीएसई व अन्य बोर्ड के साथ अनुबंध करके चल रहे स्कूलों से किसी तरह का कोई संबंध नहीं था, लेकिन बोर्ड ने सीबीएसई व अन्य बोर्ड के साथ अनुबंध करके चलने वाले स्कूलों पर इस साल आठवीं के बच्चों का एग्जाम लेने का दबाव बनाया।
एचपीएससी ने हाईकोर्ट में किया था चैलेंज Right To Education Act
इसके बाद एचपीएससी ने माननीय हाईकोर्ट में भिवानी बोर्ड के इस फैसले को चैलेंज किया, जिसकी माननीय हाईकोर्ट में सुनवाई विचाराधीन है। इसी बीच हरियाणा सरकार ने गजट नोटिफिकेशन निकालते हुए आरटीई में बदलाव कर दिया। बदलाव के अनुसार अब पांचवीं व आठवीं के बच्चों को बोर्ड एग्जाम लिया जाएगा। साथ ही गजट नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई बच्चा बोर्ड एग्जाम को पास नहीं करता तो वह दो महीने के अंदर दोबारा तैयारी करके एग्जाम को पास कर सकता है, यदि फिर भी पास नहीं करता तो बच्चे को वह क्लास दोबारा करनी होगी।
बच्चों पर फेल होने का मानसिक दबाव
एचपीएससी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र ने कहा कि सीधे तौर पर सरकार ने एक बार फिर से बच्चों को फेल होने का मानसिक दबाव बना दिया है, जोकि आरटीई आने के बाद खत्म हो गया था। एसपीएससी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र ने कहा कि पिछले दो सालों से लगातार कोरोना के कारण स्कूल सही तरीके से नहीं चल पाए हैं। अधिकतर बच्चों ने आॅन लाइन क्लास लगाई और बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित रही है। इस सत्र में भी स्कूल केवल कुछ समय के लिए खोले गए हैं। ऐसे में अभी बच्चों की शिक्षा में सुधार हो रहा था और फिर कोविड के कारण के कारण स्कूलों को बंद कर दिया गया।
बच्चों के साथ अभिभावक भी दबाव में
बच्चों की शिक्षा को लेकर स्कूल संचालकों के साथ साथ अभिभावक व खुद बच्चों पर काफी मानसिक दबाव है और ऐसे में सरकार ने यह गजटनोटिफिकेट जारी करके अभिभावकों व बच्चों पर मानसिक दबाव बनाने का काम किया है। साथ ही एसपीएससी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र ने कहा कि माननीय हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है और एचपीएससी इस मामले को कोर्ट के सामने मजबूती के साथ रखेगी। क्योंकि पहले इसी एग्जाम के चक्कर में ऐसी घटनाएं आम हो गई थी, जिसके बाद आरटीई में बोर्ड एग्जाम न लेने का फैसला लिया गया था।
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