नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरण आपात काल के चलते सभी देशों के बच्चों का भविष्य खतरे में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 20 वर्षों में शिक्षा, पोषण और जीवन काल में बढ़ोतरी के बावजूद बच्चों का अस्तित्व संकट में है। विश्व भर के 40 विशेषज्ञों द्वारा तैयार रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2015 में टिकाऊ विकास के लिए लक्ष्य (स्टैंडर्ड डेवलपमेंट गोल्स) पर सहमति दी थी, लेकिन पांच साल बीतने के बाद इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कुछ ही देशों ने जरूरी कदम उठाए हैं। यही कारण है कि पर्यावरण में बदलाव, आबादी के स्थानांतरण, पारिस्थितिकी क्षरण, सामाजिक असमानता और मार्केटिंग के गलत तरीकों के चलते बच्चों का स्वास्थ्य और भविष्य लगातार खतरे में है। रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण आपातकाल के इस दौर में बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए बदलावों की आवश्यकता है।
घातक ग्रीन हाउस गैसों का उत्पादन सबसे ज्यादा अमीर देशों में होता लेकिन उसका खमियाजा गरीब देशों को भुगतना पड़ता है। इसका सबसे खराब असर बच्चों पर पड़ता है।
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