- करीब 40 करोड़ की देनदारी छोड़ लापता हुए व्यापारी की बरामदगी व पैसों की रिकवरी की मांग को लेकर आढतियों ने शुरु किया धरना
(Rewari News) रेवाड़ी। स्थानीय नई अनाज मंडी के व्यापारियों के करीब 40 करोड़ रुपये की देनदारी छोड़ लापता हुए आढती की बरामदगी तथा उनके पैसों की रिकवरी कराए जाने की मांग को लेकर गुरुवार से अनाज मंडी के व्यापारी हड़ताल पर चले गए। अनाज मंडी के व्यापारियों ने मंडी में अनिश्चितकालीन धरना भी शुरु कर दिया है। जिसके चलते फसल बेचने आने वाले किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा तथा आने वाले समय में भी उनकी दिक्कतें बढ़ सकती है।
व्यापार संघ नई अनाज मंडी के प्रधान अशोक यादव ने मंडी का एक व्यापारी अंकित गुप्ता मंडी के व्यापारियों की करीब 40 करोड़ की देनदारी छोडक़र संदिग्ध परिस्थितियों में परिवार सहित लापता हो गया। जैसे ही व्यापारियों को उसके लापता होने का पता लगा तो उन्होंने पुलिस अधीक्षक से लेकर स्थानीय विधायक को भी मामले से अवगत कराया, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया है। उन्होंने बताया कि अंकित गुप्ता से लेनदारों की संख्या बढ़ रही है। अब सीजन का समय आ गया है, ऐसे में वो किसानों को उनकी फसलों का भुगतान किस प्रकार करेंगे. उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
अपनी मांग को लेकर उनका अनिश्चितकालीन धरना आज से शुरु हो गया है तथा व्यापारी की वापसी तक यह लगातार जारी रहेगा
उन्होंने कहा कि वह केवल इतनी मांग कर रहे हैं को पुलिस व्यापारी का पता लगाकर उसे यहां ले आए, उसके बाद वे अपना हिसाब कर लेंगे। उन्होंने चेताया कि सभी व्यापारी अनाज मंडी में तब तक फसलों की खरीद नहीं होने देंगे, जब तक लापता व्यापारी को वापस नहीं लाया जाता। अपनी मांग को लेकर उनका अनिश्चितकालीन धरना आज से शुरु हो गया है तथा व्यापारी की वापसी तक यह लगातार जारी रहेगा। इस मौके पर काफी संख्या में आढती व अनाज मंडी के व्यापारी मौजूद रहे।
किसानों की बढ़ी परेशानी
अनाज मंडी के आढतियों की ओर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से मंडी में फसल बेचने आए किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। किसान फसल लेकर तो पहुंचे, लेकिन बिना बेचे उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। जिसके चलते मंडी में सन्नाटा भी पसरा रहा। इस समय शादी-विवाह का सीजन चल रहा है। ऐसे में किसान अपनी पुरानी फसल को मंडी में बेचने आता है। लेकिन फसल खरीद नहीं होने के कारण उसे अन्यत्र फसल बेचने जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। आने वाला समय भी किसानों के लिए राहत देने वाला नहीं होने वाला है, क्योंकि मंडी के व्यापारी अपनी मांग पर अडिग है।