(Rewari News) रेवाड़ी। विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। टिकट की लिस्ट भी जल्दी ही जारी होने वाली है। कांग्रेस व भाजपा दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल इस बार एससी समाज को अपनी ओर मोडऩे के लिए नई रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। गत लोक सभा चुनाव में एससी समाज का एक बड़ा वर्ग भाजपा से नाराज होकर कांग्रेस में शिफ्ट हो गया था। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी नई रणनीति के तहत एससी समाज को वापस अपनी ओर मोडऩे के लिए एससी समाज के बड़े चेहरों को चुनावी मैदान में उतार दिया है।
प्रदेश के सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरणों को साधने में जुट गए हैं। प्रदेश की बात करें तो पंजाबी करीब 8 प्रतिशत है तों ब्राह्मण 7.5 प्रतिशत, अहीर 5.14 प्रतिशत, वैश्य 5 प्रतिशत, गुर्जर 3.35 प्रतिशत, जाट सिख 4 प्रतिशत, राजपूत 3.4 प्रतिशत, मेव और मुस्लिम 3.8 प्रतिशत और बिश्नोई 0.7 प्रतिशत है। प्रदेश की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति करीब 21 प्रतिशत है, जो जाट के बाद सबसे ज्यादा है।प्रदेश में जाट बिरादरी के मतदाता करीब 17 फीसदी से अधिक है। अगर ब्राह्मण, वैश्य और पंजाबी मतदाताओं की बात कर तो इनकी संख्या करीब 30 फीसदी है। ओबीसी मतदाताओं की संख्या भी लगविधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। टिकट की लिस्ट भी जल्दी ही जारी होने वाली है। भग 24 फीसदी है। जाट के बाद एससी समाज के मतदाता ही सत्ता में काबिज करने या बेदखल करने की कुवत रखते हैं।
प्रदेश के सभी सियासी दलों को इस बात का भली भांति एहसास भी है। इस बात को मध्य नजर रखते हुए सभी पार्टियों के पास जातियों के हिसाब से बड़े-बड़े चेहरे मौजूद है जों अपनी जाति के मतदाताओं का रूख अपनी पार्टी की ओर करने का मादा रखते हैं। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आरक्षित सीटों में से सात पर जीत हासिल की थी जो वर्ष 2014 के मुकाबले तीन सीट ज्यादा है। अगर भाजपा को प्रदेश में तीसरी बार सत्ताशीन होना है तो एससी समाज की नाराजगी को दूर कर अपनी ओर मोडऩा ही होगा। भाजपा में इस वक्त डॉ बनवारी लाल का ही बड़ा चेहरा है जो एससी समाज की नाराजगी को दूर कर वापस भाजपा की ओर ला सकते हैं। डॉ बनवारी लाल प्रदेश सरकार में वर्ष 2014 से लगातार वजीर है। डॉ बनवारी लाल प्रदेश में अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। अब पार्टी भी एससी समाज की नाराजगी को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है।
कुछ माह पूर्व ही भाजपा ने क्लास प्रथम तथा द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों को पदोन्नति का आरक्षण देकर इस समाज को अपनी ओर मोडऩे का कार्य किया था । इसी के साथ-साथ समाज के सभी महापुरुषों के समारोह प्रदेश स्तर सरकारी खजाने से मनानें का निर्णय लिया था। भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस भी एससी समाज पर लगातार डोरे डाल रही है। कांग्रेस के पास भी कुमारी शैलजा जैसा एससी समाज का बड़ा चेहरा मौजूद है।
कांग्रेस इस लोक सभा चुनाव में भी एससी समाज को अपनी ओर करने में पूरी तरह से सफल रही। एससी समाज की नाराजगी के कारण ही प्रदेश का लोकसभा चुनाव 50-50 पर सिमट गया। अब बीजेपी एससी समाज को वापस अपनी ओर आकर्षित करने तथा कांग्रेस अपने पास बरकरार रखने के लिए पूरी रणनीति बनाने में जुटे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में ही पता लगेगा कि कौनसी पार्टी ऐसी समाज को अपने पक्ष में लाने में सफल रही।
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