Rewari News : एलसी 59 पर बन रहे बूढ़पुर-बेरली कोसली पुल का मामला पहुंचा सीएम दरबार

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The matter of the Budhpur-Berli Kosli bridge being built on LC 59 reached the CM's court
भाजपा नेता डा. सतीश खोला को मांगपत्र सौंपते ग्रामीण।
  • एचपीपीए स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ.सतीश खोला को सीएम के नाम ग्रामीणों ने सौंपा मांग पत्र

(Rewari News) रेवाड़ी। एलसी 59 फाटक पर बन रहे बूढ़पुर-बेरली कोसली पुल का मामला सीएम हरियाणा के पास पहुंच गया है। बेरली रोड पर रहने वाले कंवर सिंह, ओमप्रकाश, आशा, शुभराम, रतिराम, हरेंद्र, पिंकेश समेत दर्जनों नागरिक एचपीपीए स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. सतीश खोला से उनके कार्यालय पर मिले। उन्होंने बताया कि 23 नवंबर 2024 को हाई कोर्ट से विभाग ने समझौते करने के लिए मामला वापस करवा दिया था। अब फिर पैमाईश गलत कर दी। इसलिए ठीक करवाने के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है।

नापतोल करके ही पीडब्ल्यूडी विभाग ने सडक़ बनाई थी,आमजन इसको 50 साल से इस्तेमाल कर रहा है

उन्होंने बताया कि गलत पैमाईश से पंद्रह मकान टूटते है। मौके पर सडक़ बनी हुई है। उसी पर पुल बनता है तो दोनों तरफ बराबर जगह निकलती है । अगर गलत पैमाईश पर पुल बनता है तो छह से बीस फीट का अंतर आता है जो टेडा भी दिखेगा और मकान भी टूटेंगे।मुख्यमंत्री नायब सैनी को लिखे मांग पत्र में कहा है कि बरेली-बूढ़पुर रोड का अधिग्रहण 1974 में हुआ था, जो कि कागजों में ग्यारह करम है और ग्राउंड पर तेरह करम है। नापतोल करके ही पीडब्ल्यूडी विभाग ने सडक़ बनाई थी। आमजन इसको 50 साल से इस्तेमाल कर रहा है।

पीडब्ल्यूडी विभाग अब भी अपने द्वारा बनाई गई सडक़ को गलत बता रहा है

इसी साइड सीवर लाइन भी डली हुई है तथा पानी की बड़ी लाइन है, जो बूस्टरों को जाती है तथा बिजली की दो बड़ी लाइन है। जिसे विभाग अपनी जगह मान रहा है। उसके बाद साल 2006 में इसका नवीनीकरण हुआ, उस समय भी नापतोल हुआ था। उसके बाद पीडब्ल्यूडी विभाग ने दोनों तरफ बरसाती नाले भी बनाए। वह भी पैमाइश करके ही बनाए गए थे तथा इस रोड को चार लाइन भी बनाया गया था। उस समय भी इसकी पैमाइश की गई थी। पीडब्ल्यूडी विभाग अब भी अपने द्वारा बनाई गई सडक़ को गलत बता रहा है।

उन्होंने कहा कि विभाग बहुत परेशान कर रहा है इसके लिए हाई कोर्ट में भी यह मामला गया। वहां पर भी पीडब्ल्यूडी विभाग ने एक मौका पैमाईश का और देने के लिए कहा कोर्ट में दोनों की सहमति से केस वापिस लिया गया। लिटिगेशन एक्ट 1963 के मुताबिक 12 साल जिसका कब्जा है, उसको मालिकाना हक का प्रावधान है। इसका मतलब जहां रोड बना है, वहीं पुल बने। कोई एतराज नहीं होगा। लोगों के 30 साल से ज्यादा पुराने मकान बनाए हो गए है। इसलिए निवेदन है कि इस पर दखल करके सही नापतोल करवाकर जहां जो काबिज है इस पर ही पुल बनाया जाए।

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