- रेवाड़ी विधायक ने पूर्व बजट कार्यक्रम के दौरान सरकार के समक्ष रखी बड़ी मांग
(Rewari News) रेवाड़ी। रेवाड़ी विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने प्रदेश सरकार के बजट को लेकर विधायकों से पूर्व बजट परामर्श कार्यक्रम के दौरान रेवाड़ी एवं महेंद्रगढ़ जिले की विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों को तथ्यात्मक व प्रामाणिकता के साथ इलाके की शौर्य गाथा को विस्तार से रखते हुए इन क्षेत्रों को बड़े धार्मिक पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किए जाने की मांग रखी है। उन्होंने बताया कि इतिहास को अपने आप में संजोए इस क्षेत्र के पर्यटन की अपार संभावनाएं है, जिससे न केवल इस वीर भूमि को उसकी असल पहचान मिलेगी, अपितु सरकार को भी राजस्व का बड़ा लाभ होगा।
रेवाड़ी विधायक लक्ष्मण यादव ने बताया कि रेवाड़ी क्षेत्र में ऐतिहासिक बड़ा तालाब, सोलह राही, पुराने शहर को अपने अंदर बसाए हुए दिल्ली, जगन, भाड़ावास व गोकल गेटों, वैदिक काल की साक्षी साहबी नदी, भगवान कृष्ण के भाई दाऊ की ससुराल समेतों ऐसे अनेकों स्थल हैं, जिनका बहुत ऐतिहासिक महत्व है। इन्हें बड़े धार्मिक स्थलों के रूप में विकसित कर पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
यमुना से सरस्वती नदी के मध्य जिला फतेहाबाद से रेवाड़ी तक और आगे यमुना नदी का क्षेत्र वैदिक काल में ब्रह्मवैवृत नामक क्षेत्र कहलाता था
उन्होंने बताया कि लेखक राधेश्याम गोमला की लिखी पुस्तक मित्र-उपनिषद का अध्धयन करने समेत अनेकों जानकारियां जुटाने पर ज्ञात हुआ कि रेवाड़ी क्षेत्र वैदिक काल से विश्व के मानचित्र पर अपनी पहचान रखता आया है। भौगोलिक प्रमाण के रूप में रेवाड़ी की साहबी नदी जो वैदिक काल में दृष्द्वैति के नाम से जानी जाती थी और बरसात के समय में प्राचीन नदी सरस्वती और यमुना के संपर्क सूत्र का काम करती थी। यमुना से सरस्वती नदी के मध्य जिला फतेहाबाद से रेवाड़ी तक और आगे यमुना नदी का क्षेत्र वैदिक काल में ब्रह्मवैवृत नामक क्षेत्र कहलाता था। वेद कालीन राजा रेवतक के साम्राज्य का हिस्सा रहा। रेवाडी जो उनकी पुत्री रेवती के नाम से रेवतवाडी कहलाता था और श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम से रेवती की शादी के बाद यह क्षेत्र बलराम का कर्मक्षेत्र रहा।
वही रेवतवाडी कालांतर रेवाडी नगर बना। वेदकालीन रेवाडी से फतेहाबाद तक हरियाणा के बड़े भूभाग में पौराणिक महापुरुष बलराम की कर्मभूमि रेवाडी से अब तक के पुरातत्व विभाग द्वारा खोजे गए विश्व के सबसे प्राचीन स्थल भिरड़ाना जो अब से 9595 सालों पुराना और राखीगढञ जो अब से 8025 सालों प्राचीन स्थल प्राप्त हुए है, यह वह क्षेत्र था जहां साढे पांच हजार सालों पूर्व से लगभग आठ हजार सालों पूर्व के दौरान वेदों उपनिषदों आरण्यक व अन्य ज्ञान ग्रंथों की रचना हुई।
पौराणिक और जनश्रुतियों के अनुसार रेवाड़ी जिले के गांव बगथला और गंगायचा आदि स्थान भी प्राचीन ऋषियों से संबंधित बताए जाते हैं
उन्होंने बताया कि वर्तमान में विश्व गुरुत्वाकर्षण को न्यूटन की खोज बताता है, जबकि प्रश्नोपनिषद में हजारों सालों पहले महर्षि पिप्पलाद ने जिला महेंद्रगढ़ के गाँव बाघोत में अपने शिष्यों को गुरुत्वाकर्षण बारे बता दिया था। जिसका उल्लेख आदि शंकराचार्य ने अपने भाष्य में लिखा है। पौराणिक और जनश्रुतियों के अनुसार रेवाड़ी जिले के गांव बगथला और गंगायचा आदि स्थान भी प्राचीन ऋषियों से संबंधित बताए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि सरस्वती और साहबी नदी के बीच का लगभग समस्त हरियाणा वेद उपनिषद काल का तात्कालिक ज्ञान का मुख्य केन्द्रीय क्षेत्र रहा। यहाँ तात्कालिक महान ऋषि वैज्ञानिकों वशिष्ठ, विश्वामित्र, दधीचि, मार्कन्डेय, गौतम, पराशर, जमदग्नि, परशुराम, कपिल, पिप्पलाद, उद्दालक, कहोड़, अष्टावक्र, वेदव्यास, दुर्वासा और च्यवन आदि ऋषियों के तपस्थल आश्रम या उपआश्रम रहे। महेंद्रगढ़ में बाघोत का बाघेश्वर धाम, स्याणा का उद्दालक आश्रम और कुलताजपुर-ढोसी का च्यवन आश्रम वेद उपनिषद कालीन तीर्थस्थल हैं। इनका महत्व देश के अन्य बड़े तीर्थस्थलों की भांति धार्मिक और आस्था के केंद्र के रूप में रहा है।
सरकार को चाहिए कि उक्त स्थलों को धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित कर यहाँ राजकीय रूप में पर्यटन को बढ़ा दिया जाए
रेवाड़ी विधायक ने बताया कि देश में कई राज्यों में धार्मिक पर्यटन उन राज्यों के राजस्व और वहाँ की जनता की आजीविका का बड़ा साधन है। रेवाड़ी के कई स्थानों समेत महेंदगढ़ में बाघोत का बाघेश्वर धाम, स्याणा का उद्दालक आश्रम और कुलताजपुर-ढोसी का च्यवन आश्रम वेद उपनिषद कालीन तीर्थस्थल देश के अन्य धार्मिक तीर्थ स्थलों से किसी भी दृष्टि से कम महत्व वाले नहीं है। सरकार को चाहिए कि उक्त स्थलों को धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित कर यहाँ राजकीय रूप में पर्यटन को बढ़ा दिया जाए जिससे राज्य और क्षेत्र का महत्व बढ़ सके।
उन्होंने यह भी बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिसर्च ऑन सरस्वती रिवर कुरुक्षेत्र युनिवर्सिटी द्वारा दक्षिणी हरियाणा में जिला महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी के साथ गुजरने वाली वैदिक सरस्वती नदी की एक पुरानी धारा की पहचान है। ब्रहावर्त रिसर्च फाउंडेशन ने भी इसी नदी किराने रहे वैस्वत मनु द्वारा शाषिक ब्रहावर्त राज्य व बहुत से ऋषियों के आश्रम सर्च किए हैं, जहं वेदों व उपनिषदों की रचना हुई थी। वैदिक ग्रंथों में इस बात का वर्णन मिलता है कि सनातन धर्म की स्थापना वैस्वत मनु से लगभग दस हजार वर्ष पहले ब्रह्वती राज्य में ही की थी। विश्व की सबसे पुरानी आर्य सभ्यता का विकास हुआ। वेदों व उपनिषदों से मिले ज्ञान से ही भारत अध्यात्म में विश्व गुरु कहलाया। प्रदेश सरकार वैदिक आश्रमों का उत्थान कराकर महान भारतीय संस्कृति की सच्चाई एक बार फिर देश के सामने लाए।
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