(Rewari News) रेवाड़ी। पीपीपी के प्रदेश कोऑर्डिनेटर डा. सतीश खोला ने रेवाड़ी विधानसभा के कालाका गांव में जन सम्पर्क अभियान चलाया। इस दौरान 150 जन समस्याओं का समाधान किया गया।
आयोजित कार्यक्रम में काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे
गांव की सरपंच गीता यादव द्वारा आयोजित कार्यक्रम में काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि पीपीपी (परिवार पहचान पत्र में पूरे स्टेट के हर एक व्यक्ति का डिजिटल डेटा है। जो दूसरे किसी राज्य में इस स्तर पर नहीं है। पीपीपी से जुड़ी सुविधाओं का लाभ लेने के लिए किसी दफतर नहीं जाना होता आवेदन नहीं करना होता। किसी से कोई डॉक्यूमेंट नहीं मांगा जाता। स्कूलों में बच्चों के कॉस्ट सर्टिफिकेट बनवाए जाते थे, तो उनसे कास्ट पूछते थे। पीपीपी के माध्यम से अब किसी बच्चे का कास्ट सर्टिफिकेट नहीं मांगा जाता ना उससे कास्ट पूछी जाती है। यह एक बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव है। बीपीएल कार्ड के लिए कोई आवेदन नहीं है।
एक ही बार में एक ही दिन में 12 लाख कार्ड बनाए है, जो सालों से इंतजार कर रहे थे
अपने आप बनता है। एक ही बार में एक ही दिन में 12 लाख कार्ड बनाए है, जो सालों से इंतजार कर रहे थे। पेंशन के लिए पहले कागज भी चलते थे और पैसे भी। बुजुर्ग व्यक्ति धक्के खाता था। अब पेंशन खाते में बिना आवेदन के आ जाती है। पीपीपी से जुड़े किसी डॉक्यूमेंट डोमिसाइल, कास्ट, इनकम, बीपीएल किसी के लिए कोई आवेदन नही है, बस अपना पीपीपी नंबर डालकर डाउनलोड किया जा सकता है।
पहले योजनाएं बनती थी पर हर एक व्यक्ति तक नहीं पहुंचती थी। पीपीपी आने के बाद अब पता होता है कि किस योजना के किस जिले में कितने लाभार्थी है और उन सब तक योजना पहुचाई जाति है कोई छूटता नहीं है। पहले योजनाएं सरकार अपने तरीके से बनाती थी। अब पीपीपी के आने के बाद लोगो की जरूरत को उनकी समस्या को उनके वर्ग को पहचान कर योजना बनाई जा सकती है। पहले लोग सरकार से सेवाओं और योजनाओ का लाभ लेने आते थे अब सरकार उन्हे खोजकर दे रही है। यह इतिहास में पूरे देश में कही नहीं हुआ। पीपीपी ने सरकारी तंत्र और आम जनता के समय, संसाधन और पैसे तीनो को बचाया है।