- भूले-बिसरे शायर नैरंग सरहदी पर इंडिया कॉनक्लेव आयोजित
- विचार गोष्ठी, मुशायरा लोकार्पण और सम्मान रहे मुख्य आकर्षण
(Rewari News) रेवाड़ी। नैरंग सरहदी का सारा कलाम कमाल का है। ऐसे शायर का उनके घर में गुमनाम होना बेहद दुखद है। यह बात अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त लेखक एवं समीक्षक डॉ सैय्यद तक़ी आबिदी (कनाडा) ने शायर नैरंग सरहदी की कर्मभूमि रेवाड़ी में कही।
वे यहां मित्रम् व राज इंटरनेशनल स्कूल के सहयोग से आयोजित इंडिया कॉनक्लेव नैरंग सरहदी स्मृति समारोह में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। समारोह की अध्यक्षता दी पेन फाउंडेशन के चेयरमैन, लेखक व फिल्म निर्देशक आसिफ़ आज़मी ने की। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के संस्कृति प्रकोष्ठ के निदेशक डॉण् चितरंजन दयाल सिंह कौशल के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समारोह में फिल्मी गीतकार एवं जाने.माने शायर शकील आज़मी मुख्य शायर रहे।
समारोह में ज़श्न.ए.बहार की संस्थापक कामना प्रसाद तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर चंद्रशेखर विशिष्ट अतिथि रहे। समाजसेवी नवीन सैनी ने स्वागताध्यक्ष की भूमिका निभाई। विचार गोष्ठी, मुशायरे, लोकार्पण तथा सम्मान इस कार्यक्रम ने साहित्यप्रेमियों को देर रात तक चार घंटे बांधे रखा।
मुख्य अतिथि डॉ कौशल ने कहा कि नैरंग सरहदी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता
अध्यक्षीय संबोधन में जहां श्री आज़मी ने भारतीयता एवं राष्ट्रीयता का शायर बताते उन्हें पद्मश्री का हक़दार बताया। मुख्य वक्ता डॉ आबिदी ने उन्हें मानवता का रचनाकार बताते हुए उन पर उर्दू अकादमी द्वारा पुरस्कार प्रारंभ करने तथा उनकी रचनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की। मुख्य अतिथि डॉ कौशल ने कहा कि नैरंग सरहदी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
विचार गोष्ठी में सरहदी के शागिर्द विपिन सुनेजा ने उन्हें याद करते हुए उनकी गजल सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया
लेखिका कामना प्रसाद तथा प्रोफेसर चंद्रशेखर ने उनकी उर्दू तथा फारसी रचनाधर्मिता पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए उन्हें उसूलों का शायर बताया। विचार गोष्ठी में सरहदी के शागिर्द विपिन सुनेजा ने उन्हें याद करते हुए उनकी गजल सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया। कनाडा से पधारे नरेश नारंग ने अपने पिता नैरंग सरहदी के जीवन के कुछ मार्मिक प्रसंग साझा किए।डॉ शफ़ी अय्यूब के संचालन में आयोजित मुशायरे में फिल्मी गीतकार शकील आज़मी छाए रहे। कर्नल संजय चतुर्वेदी, डा. एमआर कासमी, अहमद अल्वी, डा. गुरविंदर बंगा, सत्यवीर नाहडिय़ा, प्रखर मालवीय ने भी प्रासंगिक गीत-गज़़लों से वाहवाही लूटी।
समारोह में डॉ आबिदी के सरहदी की रचनाधर्मिता पर केंद्रित नवप्रकाशित ग्रंथ तामीरे-बका का लोकार्पण किया गया। बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद् द्वारा नैरंग सरहदी को मरणोपरांत दिए गए बाबू बालमुकुंद गुप्त कोहिनूर सम्मान को उनके पुत्र नरेश नारंग व पुत्रवधू सुनीता नारंग ने ग्रहण किया।
समारोह में रेवाड़ी के रचनाकारों ने प्रो रमेश चंद्र शर्मा, प्रो. रमेश सिद्धार्थ, दर्शना शर्मा, आलोक भांडोरिया, राजेश भुलक्कड़, अहमना मनोहर, दलबीर फूल, अरुण गुप्ता, नाहर सिंह, योगेश हरियाणवी, एलबी कौशिक, तेजभान कुकरेजा, यतिन चारण ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आयोजन समिति की ओर ऋषि सिंहल, मुकुट अग्रवाल, खूबराम धूपिया, सत्या, श्रीपति शेखावत, गीतांजलि ने विभिन्न प्रभार संभाले।
इस मौके पर नरेश चौहान, डॉ तारा सक्सेना, दिनेश कपूर, प्रो. राजेश बंसल, सरोज शर्मा, सुधीर भार्गव, डॉ एलएन शर्मा, डा. एसपी यादव, डा. कंवरसिंह, डॉ. सुशांत यादव, चेतराम सैनी, रजनीकांत सैनी एडवोकेट, रणजीत सिंह एडवोकेट समेत विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। ऋषि सिंहल ने सभी का आभार जताया।
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