(Rewari News)रेवाड़ी। भारत सरकार की ओर से अधिसूचित किए गए तीनों नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 1 जुलाई 2024 से देशभर में लागू कर दिया गया है। तीनों कानूनों का खास मकसद विभिन्न अपराधों को परिभाषित करके उनके लिए सजा तय करके देश में आपराधिक न्याय सिस्टम को पूरी तरह से बदलना है।उक्त विचार पुलिस अधीक्षक गौरव राजपुरोहित ने जिला लघु सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि उपरोक्त नए कानूनों को लागू होने से भविष्य में आपराधिक सिस्टम में बड़े और सकारात्मक नतीजे मिलने की उम्मीद है। इन कानूनों का उद्देश्य पीडि़त को त्वरित न्याय दिलवाना है।
पुलिस अधीक्षक गौरव राजपुरोहित ने तीनों ने आपराधिक कानूनों की दी विस्तृत जानकारी
उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता में यह तय होगा कि कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी। आईपीसी कानून में 511 धाराएं थीं जबकि नए कानून भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होंगी। नए कानून में 21 नए अपराधों को भी सम्मलित किया गया है। दंप्रसं में पहले 484 धाराएं थीं, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी। नए कानून में सीआरपीसी की 177 धाराओं को बदला गया है और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। नए कानून को लाते हुए 14 धाराएं समाप्त हो गई हैं। गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने आदि की प्रक्रयिा सीआरपीसी में होती है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराएं होंगी। मुकद्मों के सबूतों को कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, यह सब अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत 170 धाराओं के तहत ही होगा। नए कानून लाने में 24 धाराओं में बदलाव किया गया है और 2 नई धाराएं भी साक्ष्य अधिनियम में जोड़ी गई हैं। नए कानून में पुरानी 6 धाराओं को समाप्त भी किया गया है।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि नए कानून लागू होने से पीडि़त पक्ष को न्याय पाने के लिए पहले की तरह वर्षो तक थानों और कोर्ट-कचहैरियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगेे तथा एफआईआर से लेकर अदालत के अंतिम फैसले तक पुलिस की पूरी प्रकिया तथ्यों पर आधारित होगी। उन्होंने कहा कि आपराधिक मामलों में एफएसएल् प्रकिया पूरी तरह से वीडियो और ऑडियोग्राफी के साथ डिजिटल तरीके से होगी। एक जुलाई से पूर्व जो भी आपराधिक मामले लंबित हैं वह आईपीएसके तहत ही डील किये जायेंगे लेकिन एक जुलाई 2024 से जो भी आपराधिक मामले दर्ज होंगे वह नए कानून पर आधारित होंगे। पुलिस नोटिस या सम्मन भेजने का तरीका भी पूरी तरह से डिजिटल और सर्वमान्य होगा। जिससे पुलिस जांच व न्यायिक प्रकिया के दौरान समयबद्ध तरीके से कार्य करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि तीनों नए आपराधिक कानून लागू होने से पुलिस के सामने चुनौतियां होंगी लेकिन हम हम पूरी निष्ठा व मेहनत के साथ चुनौतियों का सामना करेंगे ताकि पीडि़त को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।