- सौ टका कांग्रेसी : कांग्रेस को थी सच्चे सिपाही की तलाश
(Rewari News )रेवाड़ी। विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। टिकट के दावेदारों न ेअपनी-अपनी दावेदारी पेश कर दी है। अब जल्द ही टिकट का वितरण होगा। बावल आरक्षित विधानसभा क्षेत्र से इस बार कांग्रेस में टिकट के लिए मारामारी मची हुई है। 52 दावेदारों ने अपनी दावेदारी के लिए आवेदन किया है। चुनाव से पूर्व ही कांग्रेस पार्टी दो भागों में बट चुकी है। एक तरफ जहां स्थानीय दावेदार है तो दूसरी तरफ बाहरी उम्मीदवार अपनी दावेदारी जता रहे हैं। स्थानीय करीब दो दर्जन से अधिक दावेदारों ने पार्टी के शीर्ष नेताओं को ज्ञापन देकर यह मांग की है कि इस बार बाहरी को नहीं बल्कि स्थानीय दावेदार को ही टिकट दी जाए।
गांव हरचंदपुर निवासी पूर्ण सिंह वर्ष 1992 में जब कॉलेज के छात्र थे तब से वह कांग्रेस में
प्रदेश के शीर्ष नेताओं ने भी यह आश्वासन दिया है कि इस बार किसी बाहरी को नहीं बल्कि धरातल पर कार्य करने वाले किसी स्थानीय कार्यकर्ता को ही टिकट दी जाएगी। केंद्र में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी भी पार्टी नेताओं को यह निर्देश दे चुके हैं कि इस बार किसी बड़े चेहरे को नहीं बल्कि स्थानीय जिताऊ चेहरे को ही टिकट दी जाए। बावल में जब दावेदारों पर नजर दौड़ाई गई तो एक दावेदार पर नजर पड़ी, जो वर्ष 1992 से लेकर आज तक शुद्ध कांग्रेसी है। इस चेहरे ने कभी भी सत्ता के साथ न दल बदला और बुरे समय में भी कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा। बावल उपमंडल के गांव हरचंदपुर निवासी पूर्ण सिंह वर्ष 1992 में जब कॉलेज के छात्र थे तब से वह कांग्रेस में है। वर्ष 1992 से लेकर 1995 तक एनएसयूआई के सचिव रहे। कांग्रेस यूथ डेलिगेशन के 5 वर्ष तक सदस्य रहे। सदस्यता अभियान में भी बड़ी भागीदारी रही। ब्लॉक समिति सदस्य से लेकर ग्राम सरपंच तक रहे। कुल मिलाकर सो टका कांग्रेसी हैं। पिछले करीब 32 वर्षों से धरातल पर रहकर कांग्रेस के लिए खून-पसीना एक किया।अब कांग्रेस को चाहिए कि धरातल पर चुपचाप कार्य करने वाले अपने कार्यकर्ता का सम्मान करें। बावल में एक तरफ धरातल पर कार्य करने वाले स्थानीय कार्यकर्ता है तो दूसरी तरफ कई कई बार दल-बदल चुके वह नेता है जो कांग्रेस का अच्छा समय देखकर कुछ समय पहले ही मलाई खाने के लिए कांग्रेस में शामिल हुए हैं। अब टिकट वितरण में देखना होगा कि कांग्रेस की कथनी व करनी में कितना फर्क रहता है। यह भी देखना होगा कि राहुल गांधी के निर्देश की कितनी पालन होती है।
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