रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को ये निर्देश जारी किया है कि वो सभी छोटे और बड़े कर्ज को एक अक्तु बर तक रेपो दर से जोड़े। इससे ब्याज दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक तेजी से पहुंचेगा और कर्ज सस्ता होगा। बैंकों को हर तीन में कम से कम एक बार रेपो दर के आधार पर ब्याज दर में बदलाव करना होगा। रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कहा कि ऐसा देखने को मिला है कि मौजूदा एमसीएलआर व्यवस्था में नीतिगत दरों में कमी का पर्याप्त लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचा है।
रिजर्व बैंक ने सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को एक अक्तूबर 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया है। पहले यह व्यवस्था एक अप्रैल से लागू होनी थी, लेकिन बैंकों के ऐतराज से इसे टाल दिया गया था। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बाहरी मानक आधारित ब्याज दर को तीन महीने में कम से कम एक बार नए सिरे से तय किया जाना जरूरी होगा।
करीब एक दर्जन बैंक पहले ही अपनी ऋण दर को रिजर्व बैंक की रेपो दर से जोड़ चुके हैं। रिजर्व बैंक फरवरी से अगस्त के बीच रेपो दर में 1.10 फीसदी की कटौती कर चुका है।
बैंकों ने इसका आधा लाभ ही अभी तक ग्राहकों को दिया है। एसबीआई के अलावा पीएनबी , सिंडिकेट बैंक, आईडीबीआई, यूनाइटेड बैंक, आंध्रा बैंक, यूनियन बैंक और केनरा बैंक सहित अन्य सरकारी बैंकों ने कर्ज को रेपो दर से जोड़ दिया हैै। हालांकि निजी बैंकों ने अभी तक ऐसा नहीं किया है।