पुष्कर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय समन्वय बैठक का आज तीसरा दिन था। तीसरे और अंतिम दिन आरक्षण पर चर्चा हुई। संघ की यह बैठक राजस्थान में आयोजित की गई थी। पुष्कर में हो रही इस बैठक में संघ ने आरक्षण का समर्थन किया। संघ की ओर से कहा गया कि आरक्षण जरूरी है क्योंकि समाज में सामाजिक और आर्थिक विषमताएं हैं। आरक्षण को को तब तक जारी रखना चाहिए जब तक इसके लाभार्थियों को इसकी आवश्यकता महसूस होती रहे।
आरएसएस के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि आरएसएस यह मानता है कि मंदिर, श्मशान गृह और पानी के जलाशय सभी जाति और वर्ग को लोगों के लिए खुले होने चाहिए और किसी विशेष जाति को यहां जाने से प्रतिबिंधित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम संविधान द्वारा निर्धारित की गई आरक्षण व्यवस्था का पूरी तरह से समर्थन करते हैं।’ यह पूछे जाने पर कि क्या आरएसएस को लगता है कि आरक्षण अनिश्चित काल तक जारी नहीं रहना चाहिए, होसबले ने कहा कि इसे तय करने का अधिकार इस व्यवस्था के लाभार्थियों को है। आरक्षण कोटा पर संघ के रुख को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, ‘आरक्षण की व्यवस्था को तब तक जारी रखना चाहिए जब तक कि इसके लाभार्थियों को यह लगता है कि इसकी जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि एक दलित संगठन ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर समाज में भेदभाव खत्म करने के लिए संघ के रुख की सराहना की है। संघ की तीन दिनों की बैठक में पहले दिन एनआरसी पर चर्चा हुई और इसमें भारतीय नागरिकों को बाहर किए जाने पर चिंता जताई। दूसरे दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर चर्चा की गई थी। तीसरा दिन आरक्षण के नाम रहा।
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