नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
- तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का वीरवार को होगा समापन
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संपोषित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन चार सत्रों में प्रतिभागियों को विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक खंड चार में आयोजित इस कार्यशाला के दूसरे दिन विषय विशेषज्ञ के रूप में एसटीसी के मुख्य प्रबंधक, राजभाषा डॉ. जगदीश प्रसाद, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के प्रो. अशोक कुमार; जम्मू विश्वविद्यालय के सह आचार्य डॉ. जसपाल सिंह उपस्थित रहे।
अकादमिक लेखन हेतु व्यावहारिक प्रशिक्षण
दूसरे दिन कार्यशाला की शुरूआत संचालक प्रो. नंद किशोर के द्वारा कराई गई। उन्होंने प्रतिभागियों से विशेषज्ञों का परिचय कराने के साथ-साथ हस्त अनुभव के महत्त्व पर प्रकाश डाला। प्रो. नंद किशोर ने अपने संबोधन में भारतीय भाषाओं में शोध व अकादमिक लेखन हेतु व्यावहारिक प्रशिक्षण की उपयोगिता से प्रतिभागियों को अवगत कराया। इसके पश्चात के कार्यशाला के दूसरे दिन के पहले सत्र में डॉ. जगदीश प्रसाद ने अपने शब्दों में लेखन संक्षिप्तिकरण सहज अभिव्यक्तिकरण के लिए हस्त अनुभव आधारित प्रशिक्षण प्रदान किया। उन्होंने अपने संबोधन में कठिन शब्द, शब्द वर्तनी की शुद्धता और अर्थों के महत्त्व से अवगत कराया। इसी क्रम में प्रो. जसपाल सिंह ने प्रतिभागियों को शोधपत्र की समालोचना, विश्लेषण एवं उसके प्रतिवेदन के लिए भारतीय भाषाओं में शोध एवं अकादमिक लेखन का प्रशिक्षण प्रदान किया।
कार्यशाला के दूसरे दिन के विशेषज्ञ प्रो. अशोक कुमार ने स्वयं के जीवन अनुभवों के माध्यम से व्यावसायिक प्रतिवेदन लेखन पर केंद्रित व्याख्यान व व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रतिभागियों को दिया। उन्होंने अपने प्रस्तुतिकरण में प्रतिभागियों को कार्यशाला और सेमिनार आदि के महत्त्व और उनमें लेख व शोधपत्रों के प्रस्तुतिकरण की उपयोगिता भी बताई। प्रो. अशोक कुमार ने प्रतिवेदन लेखन के साथ-साथ पत्रकारिता लेखन के विषय में भी जानकारी दी। कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न प्रश्नों के समाधान भी विशेषज्ञों ने उपलब्ध कराए। कार्यक्रम की संयोजक प्रो. सारिका शर्मा ने कहा कि व्यावहारिक प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का दूसरा दिन अतिमहत्त्वपूर्ण रहा और इसमें विषय विशेषज्ञों ने विभिन्न व्यावहारिक व तकनीकी पक्षों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। अवश्य ही उन्हें इसका लाभ कार्यक्षेत्र में प्राप्त होगा।
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