अमित वालिया,लोहारू:
Pahari Mata Loharu: लोहारू सहित आसपास क्षेत्र के गांवों में कुलदेवी के रूप में पहाड़ी माता की मान्यता है। नवरात्र के दौरान कुलदेवी के मंदिर में हाजिरी लगाने के लिए भक्तजन पहाड़ी माता मंदिर में पहुंचते है। ध्यान रहे कि नवरात्रों के दौरान लोहारू के गांव पहाड़ी में ऊंची पहाड़ी पर स्थित माता का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है। नवरात्रों में प्रतिवर्ष लाखों लोग देशभर से यहां माता के चरणों में शीश नवाने के लिए आते हैं परंतु अबकी बार संक्रमण के चलते श्रद्धालुओं की संख्या कम ही है।
400 फुट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है माता का भव्य मंदिर
करीब 400 फुट ऊंची पहाड़ी पर बने भव्य मंदिर में माता की भव्य प्रतिमा अनायास ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त माता के मंदिर में मनोकामनाएं लेकर आते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा जो भक्त एक बार पहाड़ी माता के दर्शनों के लिए आता है, वह सदैव के लिए माता का भक्त बन जाता है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित भव्य मंदिर में माता की प्रतिमा स्थापित की गई है। पहाड़ी पर चढऩे के लिए घुमावदार सीढिय़ां भी बनी हुई हैं तथा इसके प्रत्येक घूमाव पर हनुमान, श्री कृष्ण, शिवजी आदि देवी देवताओं की अति सुंदर प्रतिमाएं भी मनमोहक ढ़ंग से स्थापित की गई हैं।
नक्कटी माता के नाम से भी जाना जाता है
एक प्रचलित कथा के अनुसार मंदिर में माता की प्रतिमा पर स्वर्ण देखकर डाकुओं ने लूट के उद्देश्य से प्रतिमा को खंडित कर दिया और वे इसे उठाकर चले ही थे कि पहाड़ी माता ने उन्हें पहाड़ से उतरते समय अंधा कर दिया। परिणामस्वरूप वे पहाड़ी से उतरते समय गिर गए व उनकी मौत हो गई। डाकू माता की सोने की नथ आदि लेकर अर्थात माता की नाक काटकर भागे थे इसलिए इसे नक्कटी माता के नाम से भी जाना जाता है, तथा जहां डाकू गिरकर मरे थे वहां अब नकीपुर गांव बसा है।
राजस्थान, दिल्ली, पश्चिमी बंगाल सहित दूरदराज से आते है भक्तजन
दिल्ली के तोमर वंश के राजा पहाड़ी माता की पूजा व आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए यहां आते थे व पांडव भी अज्ञातवास के दौरान यहां माता के दर्शनों के लिए ठहरे थे। क्षेत्र के भक्त माता के दर्शनों के साथ अपने नवजात शिशुओं का मुंडन संस्कार भी यहीं करवाते है। प्रतिवर्ष नवरात्रों के दौरान यहां मेला लगता है, जिसमें हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान व कोलकाता से आने वाले लाखों भक्त माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते मेले के आयोजन पर रोक है। क्षेत्र में पहाड़ी माता के प्रति अटूट श्रद्धा व भक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पैदल जत्थो के रूप में बच्चे एवं महिलाएं भी काफी संख्या में पहाड़ी माता के मंदिर में शीश झुकाने के लिए पैदल रवाना होते है तथा हर घर में कुलदेवी के रूप में पहाड़ी माता की पूजा होती है।