जानें विदेश जाने का योग Learn Yog Of Going Abroad

जातक की कुंडली में राहु दशा, अंतर्दशा या राहु पूरी कुंडली को नष्ट करने में लगा हो, तो कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र का जाप एकमात्र रामबाण उपाय बनता है। आप यकीन नहीं कर पाएंगे, लेकिन इस जाप के आरंभ करते ही कुछ दिनों में जीवन में बड़े बदलाव आने लगते हैं।

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Learn Yog Of Going Abroad

आज समाज डिजिटल, अम्बाला
Learn Yog Of Going Abroad : हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार व्यक्ति के हाथ पर बनी रेखाओं से का संबंध उसके जीवन में होने वाली घटनाओं से होता है। हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार हाथ पर बनी रेखाओं को देखकर व्यक्ति के हाथ में विदेश यात्रा का योग है या नहीं। यदि हथेली में जीवन रेखा और भाग्य रेखा को पार करती हुई को रेखा हो तो इससे जातक विदेश यात्रा करता है।चंद्र पर्वत के पास उभरने वाली आड़ी-तिरछी रेखाओं से भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं। आप कैसे जान सकते हैं कि आपके हाथ में विदेश यात्रा का योग है –

Learn Yog Of Going Abroad

  • यदि हथेली में जीवन रेखा और भाग्य रेखा को पार करती हुई को रेखा हो तो इससे जातक विदेश यात्रा करता है। इसके अलावा चंद्र पर्वत के पास उभरने वाली आड़ी-तिरछी रेखाओं से भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
  • हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार यात्रा रेखा गहरी और स्पष्ट है तो इसका मतलब है कि ऐसा व्यक्ति विदेश में स्थायी रूप से रह सकता है।
  • हथेली पर जीवन रेखा से निकलकर कोई रेखा भाग्य रेखा को पार करते हुए चंद्र पर्वत की तरफ जाए तो जातक विदेश यात्रा करता है।
  • यदि किसी व्यक्ति के हाथ में मणिबंध को पार करती हुई कोई रेखा मंगल पर्वत की ओर जाती है इससे जातक के लिए समुद्री विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
  • यदि किसी जातक के हाथ में बुध पर्वत से निकलती हुई कोई रेखा अनामिका तक जाए तो व्यक्ति को विदेश यात्रा का सुख प्राप्त होता है।
  • माना जाता है कि यदि अगर हथेली में कोई रेखा चंद्र पर्वत से निकलकर शनि पर्वत तक जाती हो तो ऐसा व्यक्ति विदेश में जाकर पैसे कमाता है।
  • यदि किसी के हाथ में यात्रा रेखा जीवन रेखा से भी अधिक मोती और गहरी हो तो ऐसा व्यक्ति किसी दूसरे देश में जाकर बस सकता है।
  • कहा जाता है कि यदि हथेली पर चंद्र पर्वत के पास बनने वाली आड़ी-तिरछी रेखाएं चंद्र पर्वत को काटती हुई भाग्य रेखा से मिल जाएं तो व्यक्ति को विदेश यात्रा से महत्वपूर फलों की प्राप्ति होती है।
  • यदि हथेली पर चंद्र पर्वत के पास त्रिभुज का निशान बनता हो तो ऐसा व्यक्ति दूर-दूर के देशों में यात्रा करता है।

उपाय स्तोत्र जाप

Learn Yog Of Going Abroad : हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार व्यक्ति के हाथ पर बनी रेखाओं से का संबंध उसके जीवन में होने वाली घटनाओं से होता है। हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार हाथ पर बनी रेखाओं को देखकर व्यक्ति के हाथ में विदेश यात्रा का योग है या नहीं। यदि हथेली में जीवन रेखा और भाग्य रेखा को पार करती हुई को रेखा हो तो इससे जातक विदेश यात्रा करता है। विदेश जाने के सपने को पूरा करने में कोई रुकावट ना आए, इसके लिए ‘राहु स्तोत्र’ का जाप करें। इसे दिन में कम से कम एक माला यानि कि 108 बार अवश्य करें।

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यदि आपकी कुंडली में राहु अधिक रुकावटें पैदा कर रहा है तो आप जाप माला की संख्या में वृद्धि कर सकते हैं।

राहु स्तोत्र (भाग 1) : अस्य श्रीराहुस्तोत्रस्य वामदेव ऋषिः । गायत्री छन्दः । राहुर्देवता । राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥ राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः । अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥ १ ॥ रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः । ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥ २ ॥

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 राहु स्तोत्र (भाग 2) : कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः । विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥ ३ ॥ ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः । पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः ॥ ४ ॥

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राहु स्तोत्र (भाग 3) : यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् । विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥ ५ ॥ ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम् । सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ॥ ६ ॥ ॥ इति श्रीस्कन्दपुराणे राहुस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

दूसरा उपाय – राहु बीज मंत्र
अगर आप राहु स्तोत्र मंत्र का जप ना कर सकें, तो राहु को प्रसन्न करने के लिए राहु बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। इस मंत्र का 40 दिन के भीतर 18000 बार जाप करना लाभदायक सिद्ध होता है। मंत्र इस प्रकार है – ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।

तीसरा उपाय – कालभैरवाष्टकम्
अगर किसी जातक की कुंडली में राहु की दशा, अंतर्दशा या राहु पूरी कुंडली को नष्ट करने में लगा हो, तो ऐसे में कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र का जाप एकमात्र रामबाण उपाय बनता है। आप यकीन नहीं कर पाएंगे, लेकिन इस जाप के आरंभ करते ही कुछ दिनों में जीवन में बड़े बदलाव आने लगते हैं।

चौथा उपाय – दान करें
शनिवार के दिन कुष्ठ रोगियों को उड़द दाल एवं नारियल दान करें, ऐसा करने से राहु ग्रह प्रसन्न होता है।

पांचवां उपाय – व्रत करें
अगर संभव हो तो शनिवार के दिन व्रत किया जा सकता है। शनिवार के दिन लोग शनि देव के लिए भी व्रत करते हैं, लेकिन यह व्रत विशेषकर राहु ग्रह के लिए ही होना चाहिए।

पांचवां उपाय – व्रत करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पापी ग्रह राहु और केतु का व्रत 18 शनिवारों तक करना चाहिए। काले रंग का वस्त्र धारण करके राहु के व्रत में ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:’ इस मंत्र की 18, 11 या 5 माला जप करें।

छठा उपाय – रुद्राक्ष धारण करें
राहु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए आठ मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है। आप चाहें तो आठ मुखी रुद्राक्ष की माला बनवाकर हाथ में पहन लें या गले में भी पहन सकते हैं। यह उपाय जीवन की रुकावटों को दूर कर खुशहाली लाएगा।

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सातवां उपाय – राहु रत्न
राहु ग्रह से संबंधित समस्त दोष तथा राहु दशा जैसी समस्या एवं दुष्प्रभाव गोमेद रत्न को धारण करने से दूर हो जाते हैं। राहु ग्रह से पीड़ित होने पर जातक मानसिक तनाव और क्रोध से घिर जाता है। उसकी निर्णय लेने की क्षमता क्षीण हो जाती है। राहु के इन्हींस प्रभावों को कम करता है गोमेद रत्न ।

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सातवां उपाय – राहु रत्न
लेकिन इस रत्न को धारण करने से पहले कुछ सावधानियां भी बरती जानी चाहिए। जैसे कि रत्न में कहीं भी कोई दरार नहीं होनी चाहिए। सोना, पंच धातु या फिर अष्ट धातु में इसे बनवाकर धारण किया जा सकता है। अगर शुभ मुहूर्त में पहना जाए तो और भी अच्छा है।

आठवां उपाय – दुर्गा सप्तशती
मां दुर्गा को भक्तों के हर दुख दर्द काटने वाली माना गया है। कहते हैं कि आदि शक्ति के हर रूप में बहुत शक्ति होती है, इसलिए दिल से कोई भी दुआ मांगी जाए और उन्हें प्रसन्न करने का हर संभव प्रयास किया जाए तो मां मुराद पूरी करती हैं। मां दुर्गा को प्रसन्न कर जातक बुरे राहु के प्रभाव से भी छुटाकारा पा सकता है और साथ ही अपनी मनोकामना भी पूर्ण कर सकता है। इसके लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ सहयोगी माना गया है।

केवल राहु के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए जातक को दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय को ही पढ़ना है। इसे 40 दिन में 18000 बार रात के समय पढ़ना फलदायी होता है।

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