आज समाज डिजिटल, अम्बाला:
Know how Shiva-Parvati And Radha-Krishna Holi started: होली का त्योहार वृन्दावन राधा और कृष्ण के की प्रेम कहानी से भी जुड़ा हुआ है। छोटी होली के दिन शाम को चौराहों पर होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन होली रंगों से खेली जाती है।
भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है होली जिसे आम तौर पर लोग ‘रंगो का त्योहार’ भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
शिव पार्वती की कहानी Know how Shiva-Parvati And Radha-Krishna Holi started
पौराणिक कथा में हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो लेकिन शिव अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव पार्वती की सहायता के लिए आते और प्रेम बाण चलाकर भगवान शिव की तपस्या भंग करते थे। शिवजी को क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो गया। शिवजी पार्वती को देखते हैं पार्वती की आराधना सफल हो जाती है और शिवजी उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेते हैं।
हिरण्यकश्यप की कहानी
पौराणिक कथा हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की है। अत्याचारी हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पा लिया था। उसने ब्रह्मा से वरदान में मांगा था कि उसे संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य रात, दिन, पृथ्वी, आकाश, घर, या बाहर मार न सके।
वरदान पाते ही वह निरंकुश हो गया। उस दौरान परमात्मा में अटूट विश्वास रखने वाला प्रहलाद उनके पुत्र के रूप में पैदा हुआ. प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उसे भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि प्राप्त थी।
हिरण्यकश्यप ने सभी को आदेश दिया था कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे लेकिन प्रहलाद नहीं माना। प्रहलाद के न मानने पर हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने का प्रण लिया प्रहलाद को मारने के लिए उसने अनेक उपाय किए लेकिन वह हमेशा बचता रहा।
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हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान प्राप्त था. हिरण्यकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका की मदद से आग में जलाकर मारने की योजना बनाई और होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में जा बैठी। हुआ यूं कि होलिका ही आग में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गया तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा।
भगवान श्रीकृष्ण की कथा Know how Shiva-Parvati And Radha-Krishna Holi started
पौराणिक कथा है भगवान श्रीकृष्ण की जिसमें राक्षसी पूतना स्त्री का रूप धारण कर बालक कृष्ण के पास आती है और उन्हें जहरीला दूध पिला कर मारने की कोशिश की। दूध के साथ साथ बालक कृष्ण ने उसके प्राण भी ले लिये। कहा जाता है कि मृत्यु के पश्चात पूतना का शरीर लुप्त हो गया इसलिए ग्वालों ने उसका पुतला बना कर जला डाला।
वसंत के इस मोहक मौसम में एक दूसरे पर रंग डालना उनकी लीला का एक अंग माना गया है। होली के दिन वृन्दावन राधा और कृष्ण के इसी रंग में डूबा हुआ होता है।
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