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Kalashtami On 23rd April : हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है। वैशाख का महीना चल रहा है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान भैरव को समर्पित होती है। भगवान भैरव भोलेशंकर के ही अवतार हैं। कालाष्टमी को भैरवाष्टमी के नाम से भी मनाया जाता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान भैरव की पूजा- अर्चना की जाती है।
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भगवान भैरव की कृपा से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
शनिवार मुहूर्त- 23 अप्रैल को वैशाख, कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ – 06:27 बजे से शुरू होकर 24 अप्रैल को कृष्ण अष्टमी समाप्त – 04:29 सुबह तक।
Kalashtami On 23rd April : सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत रखें। घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें। इस दिन भगवान शंकर की भी विधि- विधान से पूजा- अर्चना करें। भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और गणेश भगवान की पूजा- अर्चना भी करें। आरती करें और भगवान को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
Kalashtami On 23rd April : महत्व: इस पावन दिन भगवान भैरव की पूजा, आरती और भोग लगाने से सभी तरह के भय से मुक्ति मिल जाती है। कालाष्टमी के दिन व्रत करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। भैरव बाबा की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।
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भैरव बाबा जी की आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा । जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दु:ख सिंधु तारक । भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक ।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी । महीमा अमित तुम्हारी जय जय भयकारी ।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे । चौमुख दीपक दर्शन दु:ख सगरे खोंवे ।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी । कृपा करिये भैरव करिये नहीं देरी ।।
पांव घुंघरु बाजत अरु डमरु डमकावत । बटुकनाथ बन बालक जन मन हरषावत ।।
बथुकनाथ की आरती जो कोई नर गावें । कहें धरणीधर नर मनवाछिंत फल पावे ।।
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