(आज समाज): इन दिनों सावन चल रहा है और सावन ही नहीं बल्कि शिवरात्रि अथवा हर मौके पर जब भी शिव भगवान की पूजा की जाती है तो कहते हैं कि भोलेनाथ के दर पर शिवलिंग के सामने तीन बार ताली जरूर बजानी चाहिए। लेकिन शायद ताली क्यों बजाई जाती है यह कई लोगों को पता नहीं होगा। हम आपको यहां इसके पीछे की कहानी और महत्व बता रहे हैं।
पहली, दूसरी व तीसरी ताली का महत्व
ज्योतिष के मुताबिक पहली बार ताली बजाने का मतलब है भगवान को अपनी मौजूदगी दर्ज कराना। इसके बाद दूसरी ताली बजाकर महादेव से अपने कष्टों व दुखों के निवारण के लिए याचना की जाती है। वहीं तीसरी बार ताली बजाने का शिवजी के मंदिर में एक अलग महत्व है। इस ताली में जातक भगवान से प्रार्थना करता है कि वे अपना आशीर्वाद सबसे ज्यादा उस पर बनाए रखें।
रावण के इस काम के बाद शुरू हुई परंपरा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण एक महान पंडित और बहुत बड़ा विद्वान था। संसार में रावण जैसा शूरवीर, ज्ञानी व योद्धा भी नहीं हुआ। रावण में भक्ति आराधना का विशेष गुण था। वह अपनी भक्ति की शक्ति से शंकर भगवान की आराधना करता था। रावण ने अपना एक धड़ अलग करके भोलेनाथ के कदमों में रख दिया और 3 बार ताली बजाकर उपस्थिति जताई थी। तब से तीन ताली बजाने की परंपरा चलने लगी।
भगवान श्रीकृष्ण ने भी ताली बजाकर की थी प्रार्थना
भगवान श्रीकृष्ण की अनेकों पटरानियां थी, लेकिन उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी। इसके बाद उन्होंने भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना की और 3 बार ताली बजाकर महादेव से संतान प्राप्ति हेतु प्रार्थना की।
भगवान राम ने भी ताली बजाकर की थी यह मांग
जिस समय भगवान राम रामेश्वरम में भगवान महादेव की स्थापना कर रहे थे, उस समय उन्होंने भी 3 बार ताली बजाकर भगवान महादेव के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी और राम सेतु के सफल निर्माण के लिए मनोकामना मांगी थी।