Religious News Kaithal: श्याम का जादू है, सिर चढ़के बोलेगा

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खाटू धाम की ध्वज पताका में चढ़ता है सूरजगढ़ का पहला निशान Religious News Kaithal

न म्हारौ पिहर, न म्हारौ सासरो, बस म्हानै तो श्याम धणी का आसरो Religious News Kaithal

मनोज वर्मा, कैथल:

Religious News Kaithal: प्राचीन काल से ही भारत की पावन धरा पर अनेकों ऐसी विभूतियां अवतरित हुई हैं, जिन्होंने समूचे संसार में अपनी आलौकिक शक्ति के चलते अपने नाम का डंका बजाया। उन्हीं आलौकिक शक्तियों के धनी थे बाबा खाटू श्याम वाले। उन्होंने न सिर्फ भगवान कृष्ण को सोचने पर विवश किया, बल्कि महाभारत युद्ध की काया पलट दी।

बर्बरीक को प्राप्त हुए थे शक्तिशाली तीन तीर Religious News Kaithal

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महाभारतकालीन युग के अनुसार पांडव कुलभूषण बर्र्बरीक बलशाली और दानवीर थे। देवादिदेव महादेव और मां जगदंबा का प्रत्यक्ष आशीर्वाद इन्हें प्राप्त था। ये इनके प्रिय भक्त थे। महादेव और मां जगदंबा से बर्बरीक को तीन तीर प्राप्त हुए थे। इनसे वे सारे त्रिलोक का संहार कर सकते थे। माता से आज्ञा लेकर ये महाभारत का युद्ध देखने के लिए घर से नीले घोड़े पर निकले। इसलिए इन्हें नीले का असवार भी कहा जाता है। कौरवों ने पांडवों से छल ही किया था। बराबर के हिस्सेदार होने के बावजूद श्रीकृष्ण की ओर से इनके लिए पांच गांव मांगने पर भी कौरवों ने पांच इंच भूमि तक देने से भी इंकार कर दिया था।

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मां को दिया था हारते का साथ देने का वचन Religious News Kaithal

पांडव शांतिप्रिय और धर्मावलंबी थे। जंगल- जंगल भटकते रहे। मगर धर्म रक्षक श्रीकृष्ण ने अंत में धर्म की रक्षा के लिए धर्म युद्ध महाभारत का ऐलान कर डाला और स्वयं इसके सारथी बनें। इसके पक्ष में स्वयं नारायण हों उस पक्ष की हार क्या कभी हो सकती है। किन्तु कौरवों को श्रीकृष्ण एक मायावी, छलिया और गाय चराने वाले के सिवा कुछ प्रतीत ही नहीं होता था। बर्बरीक की माता को भी पांडवों की जीत का संदेह था। अत: अपने पुत्र की वीरता को देख उसने वचन मांगा कि तुम युद्ध देखने अवश्य जाओ किन्तु यदि वहां युद्ध करना पड़े तो हारे का साथ देना। और मातृभक्त पुत्र ने माता को हारे का साथ देने का वचन दे दिया।

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भगवान श्रीकृष्ण को ज्ञात थी सारी कथा Religious News Kaithal

लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण को यह भान हो गया था कि बर्बरीक युद्ध देखने चल पड़े हैं और दूसरी तरफ कौरवों की युद्ध में हार निश्चित है। माता को दिए वचनानुसार वे कौरवों की तरफ से यदि युद्ध कर बैठे तो पांडवों का विनाश निश्चित है, और उन्हें कोई बचा नहीं सकता। इसलिए उन्होंने लीला रची। ब्राहम्ण वेश बनाकर रास्ते में ही बर्र्बरीक से मिलने की सोची। बर्बरीक से भेंट होने पर पहले उन्होंने कई प्रकार की बातें की। फिर उनसे परिचय पूछा। बर्बरीक ने अपने बल पौरूष और दानशीलता का बखान किया।

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ब्राह्मण रूप धर मिले थे श्रीकृष्ण Religious News Kaithal

ब्राह्मण रूप धारी श्रीकृष्ण ने उनकी वीरता का प्रत्यक्ष परिचय देने के लिए कहा। जिस पर बर्बरीक ने एक ही बाण से सारी सृष्टि को संहार करने का ओजस्वी स्वर गुंजायमान किया। अ ने असहमति जताते हुए वहीं स्थित एक पीपल के पेड़ के पत्तों को बींधकर दिखाने को कहा। इस समय बर्बरीक ध्यान मग्र हो अनुसंधान करने लगे तो उसी समय श्री कृष्ण ने एक पत्ता पैर के नीचे दबा लिया और सोचा मैं स्वयं इस पत्ते की रक्षा करंू तो फिर देखूं कि क्या होता है। किन्तु बर्बरीक के बाण ने सभी पत्तों को छेदन कर डाला और भगवान के रक्षित पत्ता भी नहीं बच पाया। श्रीकृष्ण सारी बात समझ गए। अब उन्होंने एक अद्भुत लीला रची जो सदैव अमर रहेगी।

श्रीकृष्ण ने दान में मांग लिया बर्बरीक का सिर Religious News Kaithal

श्रीकृष्ण ने दान मांगा और उसका वचन भी ले लिया। वचन मिलने पर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनके शीश को ही दान मेंं मांग लिया। किशोर चकित रह गया कि इस ब्राह्मण ने यह क्या मांग लिया। किन्तु बड़े ही नम्र भाव में उन्होंने ब्राह्मण से विनती की कि आपको मेरे शीश से क्या लेना है। आप कौन हैं। आप ब्राह्मण तो नहीं। कृपा करके अपने आप को प्रकट करें ओर मेरी शंका का निवारण करें। तब श्री कृष्ण ने उन्हें स्वयं का साक्षात्कार और समझाया कि हे वत्स, महाभारत युद्ध के लिए एक वीर की बलि चाहिए थी। तुम पाण्डव कुल के हो। इसलिए रक्षा के लिए तुम्हारा बलिदान सदैव याद किया जाएगा। बर्बरीक ने शीश दान करने से पहले महाभारत का युद्ध देखने की इच्छा प्रकट की, तो भगवान ने तथास्तु कह कर वीर योद्धा को संतुष्ट किया। तत्पश्चात समूचा ब्राह्मंड सुन्न हो गया। क्योंकि अब ऐसी घटना घटित होने वाली थी, जो न तो कभी हुई और न आगे किसी भी युग में होनी थी। वीर बर्बरीके ने अपने आराध्य देवी, देवताओं का वंदन किया।

मां को नमन कर दान कर दिया शीष Religious News Kaithal

माता को नमन किया और फिर कमर से कटार खींचकर एक ही वार में अपने शीश को अपनी धड़ से अलग कर दिया। श्री कृष्ण ने तेजी से शीश को अपने हाथ में उठा लिया एवं अमृत से सींचकर उसे अमर करते हुए एक टीले पर शोभायमान कर दिया। इसके पश्चात श्री कृष्ण के वरदान स्वरूप खटवांग राजा की पवित्र धरा पर वही बलशाली, महाबली बर्बरीक शीश के रूप में  अवतरित हुए। खाटू मन्दिर में आप जब भी जाएंगे आपको खाटू श्याम बाबा का नित नया रूप देखने को  मिलेगा। किसी-किसी प्राणी को तो इस विग्रह में कई बदलाव नजर आते हैं। कभी हंसता हुए तो कभी ऐसा तेज भरा कि नजरें भी नहीं टिक पाती, ऐसा प्रतीत होता है। इसके पश्चात भगवान श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर इन्हें अपना नाम, श्याम अपनी कलाएं एवं अपनी शक्तियां प्रदान कीं तथा साथ ही कलियुग में घर-घर पूजे जाने का वरदान भी दिया।

प्रभु बोले- तुम सा दानी और वीर कोई नहीं Religious News Kaithal

तभी प्रभु का स्वर गूंजा कि हे, बर्बरीक धरती पर तुमसे बड़ा दानी न तो हुआ है, और न ही होगा। मां को दिए हुए वचन के अनुसार तुम हारे का सहारा बनोगे। कल्याण की भावना से तुम्हारे दरबार में तुमसे लोग जो भी मांगेंगे उन्हें मिलेगा। वे खाली झोली लेकर वापस नहीं जाएंगे। तुम्हारे दर पर सब की इच्छा पूरी होगी। उस भविष्य वाणी को आज भी फलीभूत होते हुए इस प्रकार देखा जा सकता है और प्रभु का सजदा कुछ इस प्रकार से होता है कि, आकर जो मेरे दर पर, तुम जो प्रेम से मुस्कुरा दिए, मैं बैठा था लखदातारी बनके, मोरछड़ी से दे रहा था आर्शिवाद रूपी सौगात। इतना ही नहीं, उनके बारे में कुछ इस प्रकार भी कहा गया कि, तुमने तेग जो खींच ली, मैंने भी सिर को झुका दिया,  करले दिल दी सफाई, जे दिदार चाहिदा, और तूं जहां तो की लैंणा, जे तैनू यार चाहिदा।

खाटू गांव में प्रकट बर्बरीक का यही शीश Religious News Kaithal

इसके पश्चात कालांतर में बर्बरीक का यही शीश खाटू गांव मेंं प्रकट हुआ। जो आज राजस्थान प्रदेश के सीकर जिले में है। जिस स्थान से शीश प्रकट हुआ था, आज वहां एक अद्भुत कुंड बना हुआ है। जो श्री श्याम कुंड के नाम से प्रसिद्ध है। किवंदती हैं कि, इस कुंड में अनेकों प्रकार के रोगों का निवारण भी होता है। इनके  प्रमुख भक्तों में श्याम बहादुर जी श्यामलीन, आलू सिंह जी श्यामलीन, आलू सिंह जी के पौत्र मोहन दास चौहान व पुरूषोत्म शर्मा श्यामकला भवन वाले का नाम काफी प्रसिद्व है तथा इनके सानिध्य में ही श्याम बाबा का सिंगार किया जाता है।

14 और 15 मार्च को लगता है मेला Religious News Kaithal

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विश्वविख्यात फाल्गुन मेला फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी 14 मार्च व 15 मार्च दिन सोमवार व मंगलवार को खाटू धाम में बाबा का फाल्गुन महोत्सव श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। जिसमें देश-विदेश से करोंड़ों की संख्या में श्याम भक्त खाटू धाम पहुंचेगें ओर बाबा की शान में शिरकत करेंगें। इसी श्रेणी में कैथल से प्रसिद्व श्याम प्रेमी ईश्वर गुप्ता व प्रवीन जिंदल भी इस समारोह को अपने स्तर पर धूमधाम से सैंकड़ों श्याम भक्तों की गरिमा मयी उपस्थिति में मनांएगे।

ए मेरे श्याम, तेरे इश्क में इस तरह से निलाम हो जांऊ।
कि आखिरी हो तेरी बोली, और मैं तेरे नाम हो जांऊ।।

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