About Terrorist Rehaan’s (Anurag) : रेहान का असली नाम अनुराग है जो पानीपत के गांव दीवाना से संबंध रखता है

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About Terrorist Rehaan's (Anurag)
Terrorist Rehaan's (Anurag)
  • पढ़ाई में होशियार होने के कारण परिजनों ने अच्छी काेचिंग के लिए अनुराग को कोटा में भेजा था
  • कोचिंग के बाद उसे रेलवे में नौकरी मिली तथा वह रेलवे में नौकरी करते हुए आतंकियों के संपर्क में आ गया

Aaj Samaj (आज समाज),About Terrorist Rehaan’s (Anurag), पानीपत : बांग्लादेश बॉर्डर पर असम एस.टी.एम. द्वारा आतंकी को गिरफ्तार किया गया था, जिसके साथ रेहान नाम का आंतकी भी पकड़ा गया है।। रेहान का असली व पहले का नाम अनुराग है जो पानीपत के गांव दीवाना से संबंध रखता है, हालांकि सालों से परिवार दिल्ली रह रहा है जिस कारण गांव में इनके परिवार का कोई ज्यादा संबंध नहीं है। वहीं अनुराग के बारे में हर एक रिपोर्ट लेने के लिए अलग-अलग खुफिया विभाग की टीमें गांव दीवाना में आ रही है। ग्रामीणों ने बताया कि जब से गांव दीवाना का नाम आंतकी से जुड़ा है तब से गांव में आई.बी., सी.आई.डी. व पुलिस की टीमें दौरे कर रही है। हालांकि यह सभी को पता है कि उसका गांव में कोई संपर्क नहीं है। वहीं इस बारे में पानीपत के एस.पी. अजीत सिंह शेखावत ने कहा कि दीवाना गांव के युवक की आतंकी संगठन से जुड़े होने व असम में गिरफ्तारी की सूचना मिली है। एन.आई.ए. इस मामले की जांच कर रही है। जांच एजैंसी द्वारा जो भी सहयोग पानीपत पुलिस से मांगा जाएगा वह हम करेंगे।

अनुराग ने कुछ समय पहले धर्म परिवर्तन किया था

गौरतलब है कि असम एसटीएम ने बुधवार को धुबरी सेक्टर के धर्मशाला क्षेत्र से आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) के आतंकी हरीश अजमल फारूखी व अनुराग उर्फ रेहान को गिरफ्तार किया है। हरीश अजमल फारूखी भारत में आईएसआईएस को मजबूत कर रहा था। वहीं उसके साथ पकड़ा गया अनुराग उर्फ रेहान संगठन में युवाओं की भर्ती करता था। अनुराग उर्फ रेहान मूल रूप से पानीपत के दीवाना गांव का है लेकिन पिता मनबीर की करीब 22 साल पहले मौत होने से परिजन दिल्ली में रहने लगे थे। बताया जा रहा है कि पढ़ाई व कोचिंग के बाद वह रेलवे मंत्रालय में सेक्शन ऑफिसर लग गया। अनुराग ने कुछ समय पहले धर्म परिवर्तन किया था। बुधवार को धुबरी सेक्टर के धर्मशाला क्षेत्र से असम एसटीएफ ने इन्हें गुप्त सूचना पर गिरफ्तार किया। अजमल फारुखी देहरादून के चकराता का रहने वाला है। अब असम एसटीएम इस मामले में दोनों से पूछताछ कर रही है।

रेलवे में नौकरी करते हुए आतंकियों के संपर्क में आया अनुराग 

वहीं गांव दीवाना पानीपत के पूर्व सरपंच देवेंद्र सिंह ने कहा कि अनुराग का परिवार गांव दीवाना में नहीं रहता। पिता मनबीर की 22 साल पहले मौत हो चुकी है उसके बाद अनुराग की मां बच्चों को लेकर सोनीपत रहने लगी बाद में बादली में रहने लगे। वहीं पढ़़ाई व कोचिंग के बाद अनुराग इनके साथ नहीं रहता था। गांव में जो मकान है वह भी किसी श्रमिक को किराए पर दे रखा है वहीं खेती का ठेका हर साल उसकी मां ले जाती है। पढ़ाई में होशियार होने के कारण परिजनों ने अच्छी काेचिंग के लिए अनुराग को कोटा में भेजा था। वहीं से वह परिवार से अलग होता गया। कोचिंग के बाद उसे रेलवे में नौकरी मिली तथा वह रेलवे में नौकरी करते हुए आतंकियों के संपर्क में आ गया।