मॉनसून के आते ही सबसे ज्यादा परेशानी आंखों में होने वाले संक्रमण को लेकर आती है। बारिश के मौसम के दौरान बड़ी संख्या में आंखों के संक्रमित मरीज सामने आते हैं। इस मौसम में सबसे ज्यादा केस कंजक्टिवाइटिस के मिलते हैं। आमतौर पर आंखों में लालीमा आने, जलन होने, सूजन आने पर भी हम ध्यान नहीं देते, लेकिन ऐसा करना बड़ी मुसीबत का सबब बन सकता है। आंखों में परेशानी होने के शुरुआती दौर में ही उस पर ध्यान देकर बहुत हद तक इससे बचा जा सकता है।
ऐसे होता है कंजक्टिवाइटिस
आंखों में मौजूद कंजक्टिवा सेल्स की पतली लेयर (झिल्ली) से बना होता है, जो कि पलकों की अंदरुनी सतह और आंखों के सफेद हिस्से को कवर करता है। जब कंजक्टिवा में सूजन आ जाती है तो छोटी रक्तवाहिकाएं या कोशिकाएं ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं। इस वजह से आंखों में परेशानी आनी शुरू हो जाती है और उनमें लालीमा या गुलाबीपन आ जाता है जो 1 से 4 हफ्ते तक रह सकता है। कंजस्टिवाइटिस की वजह से आंखों में खुजली, एलर्जी और जलन की शिकायत हो जाती है।
ये होते हैं लक्षण
– आंखें लाल होना
– आंखों से पानी आना
– सुबह उठने पर आंखें चिपक जाना या खोलने में परेशानी होना
– आंखों में कंकर जैसा चुभना
– आंखों में खुजली, जलन और तनाव होना
– कॉन्टेक्ट लैंस लगाने पर परेशानी आना
कंजक्टिवाइटिस के ये हैं प्रकार
आमतौर पर कंजक्टिवाइटिस को दो कैटेगिरी में रखा जा सकता है। पहली कैटेगिरी एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस, इसमें जिन चीजों से आंखों को एलर्जी हो जैसे पराग कण या फिर क्लोरीन तो आंखों में खुजली होने के साथ जलन होने लगती है। दूसरी कैटेगिरी में इन्फेक्टिव कंजक्टिवाइटिस आता है इसमें बैक्टिरिया या फिर वायरस की वजह से इन्फेक्शन होता है। आंखों का संक्रमण कन्जक्टिवाइटिस आमतौर पर पहले एक आंख में होकर फिर दूसरी को संक्रमित करती है। कुछ मामलों में दोनों आंखों में एक साथ संक्रमण हो सकता है। बीमारी के तीव्र होने पर मरीज को बुखार जैसा भी महसूस होता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेने में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतना चाहिए।