IPL के स्थगित होने के बाद चर्चा टी 20 से हटकर टेस्ट क्रिकेट की शुरु हो गई .. अलग अलग रंग की जर्सी पहन कर खेल रहे खिलाड़ी अब सफ़ेद जर्सी और लाल गेंद की तैयारी में जुट जाएँगें । टेस्ट चैंपियनशिप के लिए टीम इंडिया का एलान भी हो चुका है। 18 जून से भारत को न्यूज़ीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल साउथैंप्टन में खेलना है। फाइनल में जगह बनाने के लिए टीम इंडिया ने काफी मेहनत की है। उसने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के तहत खेले गए 17 में से 12 मैच में जीत दर्ज की। 520 अंक के साथ प्वाइंट टेबल में पहला स्थान हासिल किया। सबसे ज्यादा सीरीज अपने नाम की। आईसीसी टेस्ट रैंकिंग्स में भी अपनी बादशाहत बनाई। लेकिन शुक्रवार को जब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिए टीम इंडिया का एलान हुआ तो उसमें एक खिलाड़ी का नाम नहीं था। पिछले तीन हफ्ते की टी-20 लीग और उससे पहले के घरेलू मैचों में इस खिलाड़ी ने सबसे शानदार फॉर्म दिखाई थी। ऐसे में अब टीम सेलेक्शन के बाद यही सवाल उठ रहा है कि क्या विराट कोहली अपनी सेना के एक मजबूत सिपाही के बिना ही विश्व चैंपियनशिप जीतने के लिए निकल रहे हैं। वो खिलाड़ी हैं- पृथ्वी शॉ कई पूर्व क्रिकेटर्स की भी राय है कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिए पृथ्वी शॉ की जगह टीम में बनती थी। पूर्व क्रिकेटर निखिल चोपड़ा का मानना है कि शॉ को टीम में जगह मिलनी चाहिए थी क्योंकि दौरा बहुत लंबा है और शॉ जैसे खिलाड़ी स्कवाड में है तो मैनेजमेंट के पास हमेशा विकल्प रहता है .. वहीं पूर्व सेलेक्टर सबा करीम का मानना है कि शॉ को रेड बॉल क्रिकेट में अपनी तकनीक को दिखाना पड़ेगा तभी उनकी वापसी टेस्ट टीम में हो पाएगी ..
क्रिकेट दिग्गजों की राय चाहे जो हो ये तो साफ़ हालाँकि -20 लीग में शानदार फॉर्म में थे पृथ्वी शॉ
टी-20 लीग का ये सीजन जब कोरोना की वजह से रूका तब दिल्ली कैपिटल्स 8 में से 6 मैच जीतकर पहली पायदान पर थी। दिल्ली की टीम ने अब तक इस लीग का खिताब कभी नहीं जीता है। पिछली बार टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया था लेकिन फाइनल में उसे हार का सामना करना पड़ा था। अब इस बार फिर दिल्ली शानदार तरीके से आगे बढ़ रही थी। इस शानदार सफर के हीरो थे पृथ्वी शॉ — पृथ्वी शॉ शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे। उन्होंने 8 मैच में 308 रन बनाए थे। दिल्ली की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों में वो दूसरे नंबर पर थे। उनकी स्ट्राइक रेट 166.48 की थी। इससे पहले विजय हजारे ट्रॉफी में उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की थी। सीजन के 8 मैच में उन्होंने 827 रन बनाए थे। इसमें 4 शतक थे। 165 से ज्यादा की उनकी औसत थी। बड़ी बात ये है कि विजय हजारे ट्रॉफी के इस सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की फेहरिस्त में वो पहली पायदान पर थे। एक दोहरा शतक भी उन्होंने जड़ा था। इसके बाद टी-20 लीग में भी उनकी यही फॉर्म जारी रही। यहां तक कि उनके शानदार प्रदर्शन के बाद लोग दिल्ली कैपिटल्स के कोच रिकी पॉन्टिंग पर भी सवाल उठा रहे थे क्योंकि उन्होंने इस सीजन के शुरू होने से पहले पृथ्वी शॉ के बर्ताव पर सवाल उठाए थे। पॉन्टिंग का कहना था कि पिछले सीजन में जब पृथ्वी शॉ से रन नहीं बन रहे थे और उन्होंने पृथ्वी को प्रैक्टिस करने को कहा था तो उन्होंने मना कर दिया था। लेकिन पृथ्वी शॉ ने टूर्नामेंट शुरू होने के तीन हफ्ते के भीतर ही अपने आलोचकों का मुंह बंद करा दिया था।
पृथ्वी शॉ को टीम में ना चुने जाने पर अलग अलग तर्क दिए जा रहे हैं कोई उनकी फ़िटनेस समस्या बता रहा है तो कोई उनके बढ़ते वजन को वजह बता रहा है
पृथ्वी शॉ को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की टीम में न चुने जाने के पीछे ये तर्क दिया जा सकता है कि वो लिमिटेड ओवर क्रिकेट में अच्छा खेल रहे थे। लाल गेंद के सामने अभी उन्हें अपने आप को दोबारा साबित करना है। लेकिन क्या भारतीय क्रिकेट टीम में सेलेक्शन का ये पैमाना हमेशा अपनाया जाता है। जवाब है- नहीं। टेस्ट टीम में अच्छे प्रदर्शन के दम पर टी-20 में सेलेक्शन और टी-20 में अच्छे प्रदर्शन के दम पर टेस्ट टीम में सेलेक्शन के दर्जनों उदाहरण हैं। असल मुद्दा है कि पृथ्वी शॉ जिस आत्मविश्वास में थे उसका फायदा उठाना चाहिए था। वैसे भी उनका स्वाभाविक खेल जैसा है वो इंग्लैंड की पिचों पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे। तकनीकी तौर पर शॉ फ्रंटफुट के लाजवाब खिलाड़ी हैं। गेंद की लेंथ को जल्दी पकड़ते हैं। आप उनके क्रीज़ पर खड़े होने के अंदाज को देखेंगे तो समझ जाएँगे कि वो शॉट्स खेलने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। IPL के मैचों में शॉ ने दिखाया कि वो आन दि राइज़ शाट्स खेलने में महारत रखते है शॉ की ‘प्लेसमेंट’ और ‘टाइमिंग’ कमाल की है। उन्हें अपना स्वाभाविक खेल खेलने में मज़ा आता है। इसीलिए जब आप पृथ्वी शॉ को खेलते देखते हैं तो कई बात लगता है कि ये सचिन और सहवाग को मिलाकर एक खिलाड़ी बनाया गया है। इंग्लैंड में वो टीम इंडिया के लिए उपयोगी हो सकते थे। बहरहाल पृथ्वी शॉ के पास सेलेक्टर्स का फिर से विश्वास जीतने का मौक़ा है .. खबर है कि टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल के बाद एक टीम श्रीलंका दौरे पर जाएगी और शॉ इस दौरे पर रन बनाकर अपना दावा और पुख़्ता कर सकते है