Recipe: लगातार एक ही पोज में ज्यादा देर बैठे रहने के कारण गर्दन में दर्द की समस्या होती है। ज्यादातर यह समस्या, उन लोगों को होती है जो लैपटैप पर ज्यादा देर के लिए काम करते हैं। गर्दन में दर्द होने पर चलने या बैठने में तकलीफ होती है। जो लोग गलत तरीके से बैठते या खड़े होते हैं, उनकी गर्दन की मांसपेशियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है जिससे दर्द हो सकता है। अचानक किसी भारी वस्तु को उठाने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है। मानसिक तनाव के कारण भी गर्दन की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है। दुर्घटना में चोट लगने के कारण भी गर्दन में दर्द की समस्या हो सकती है। गर्दन के दर्द को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक तेल की मदद ले सकते हैं। आयुर्वेदिक तेल की मदद से दर्द को कम करने में मदद मिलेगी।
सामग्री:
तिल का तेल
अश्वगंधा पाउडर
सोंठ पाउडर
लहसुन की कलियां
हल्दी पाउडर
विधि:
एक छोटी कढ़ाई में तिल का तेल डालकर धीमी आंच पर गर्म करें।
तेल गर्म हो जाने पर उसमें लहसुन की कलियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर डालें।
लहसुन को हल्का सुनहरा होने तक भूनें।
अब इसमें अश्वगंधा पाउडर और सोंठ पाउडर डालें।
इन सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाएं और धीमी आंच पर 10 मिनट तक पकाएं।
अंत में हल्दी पाउडर डालें और अच्छे से मिलाएं। हल्दी को केवल दो मिनट तक पकाएं।
तेल को ठंडा होने दें और फिर एक साफ कपड़े या छलनी की मदद से तेल को छान लें।
छने हुए तेल को एक साफ और सूखी बोतल में भरकर रख लें।
इस तेल को हल्के हाथों से गर्दन पर मालिश करें। मालिश करते समय ध्यान दें कि दबाव ज्यादा न हो।
इस तेल का इस्तेमाल दिन में 2 बार करें, खासकर सोने से पहले।
इससे मांसपेशियों में रक्त संचार बढ़ेगा और दर्द में राहत मिलेगी।
तेल लगाने के बाद गर्म पानी से स्नान करने से बचें। अगर कोई एलर्जी हो, तो पहले किसी डॉक्टर से सलाह लें।
इस तेल के नियमित इस्तेमाल से गर्दन के दर्द में राहत मिल सकती है।
गर्दन दर्द में इस आयुर्वेदिक तेल के फायदे
इस आयुर्वेदिक तेल में मौजूद जड़ी-बूटियां जैसे अश्वगंधा, सोंठ और लहसुन में प्राकृतिक रूप से एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये मांसपेशियों के तनाव को दूर करने में मदद करते हैं।
तेल की मालिश से रक्त संचार बढ़ता है, जो प्रभावित क्षेत्र में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति में सुधार करता है। इससे मांसपेशियों में सूजन और दर्द कम होता है।
गर्दन की मालिश से शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है। आयुर्वेदिक तेलों में इस्तेमाल किए गए सुगंधित पदार्थ मन को शांत करते हैं और तनाव को कम करते हैं।
आयुर्वेदिक तेल में हल्दी और सोंठ जैसे तत्व होते हैं, जिनके इस्तेमाल से सूजन कम होती है और गर्दन की गतिशीलता बढ़ती है।