रेपो दरों में दूसरी बार 25 बेसिस अंक की कटौती, इस साल लगातार दूसरी बार की दरों में कटौती
Business News (आज समाज), बिजनेस डेस्क : वर्तमान में अमेरिका ने नई टैरिफ नीति लागू करके भारत सहित विश्व के कई देशों के लिए परेशानी बढ़ा दी है। हालांकि अमेरिका की नई टैरिफ नीति के प्रभाव को कम करने के लिए भारतीय वित्तीय संस्थाएं व वित्त मंत्रालय लगातार प्रयासरत्त है। इस मुद्दे पर बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी मंगलवार को बड़ा बयान जारी किया था। इसके बाद अब रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने रेपो दरों में लगातार दूसरी बार 25 बेसिस अंकों की कटौती कर बाजार को बड़ी राहत दी है।
रेपो दर 6.0 प्रतिशत पर आ गई
इस कटौती के साथ रेपो दर 6.0 प्रतिशत पर आ गई है जो फरवरी के पहले 6.50 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। इससे बैंकों को आरबीआई से सस्ता कर्ज मिल सकेगा और इसका असर खुदरा कर्ज धारकों को होगा। लगातार दूसरी बार रेपो दरों में कटौती होने से बैंकों को यह लाभ अपने कर्जधारकों तक पहुंचाने का भी दबाव बढ़ेगा और इस कारण होम लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई में कुछ कमी आ सकती है। ब्याज दरों में कमी से बाजार में खपत बढ़ाने में मदद मिलेगी। ईएमआई के कम होने से ग्राहकों को महंगाई की मार से बचाने और पचत को दूसरी वस्तुओं की खपत में लगाने में मदद मिलेगी। वैश्विक अनिश्चितता के बीच घरेलू मांग बढ़ाने के लिए यह कदम लाभकारी साबित हो सकता है।
अमेरिका के रवैये से वैश्विक मंदी की आशंका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार के बीच रेपो दरों की कटौती को एक रणनीतिक फैसला भी माना जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि ट्रंप के टैरिफ वार से वैश्विक मंदी की आशंका गहरा गई है। माना जा रहा है कि इससे अमेरिका में भारतीय उत्पाद महंगे होंगे और उसकी खपत में कमी आ सकती है। ऐसे में भारतीय कंपनियों को झटका लग सकता है। लेकिन यदि अमेरिकी बाजार में कमी की कुछ भरपाई भारतीय उपभोक्ताओं के द्वारा की जा सके तो यह न केवल कंपनियों के लिए राहत भरी खबर होगी, बल्कि इससे बाजार को स्थिरता भी मिलेगी। रेपो दरों में कटौती होने से यदि कर्ज की दरों में कमी आती है तो इससे भारतीय बाजार में वस्तुओं की मांग बढ़ेगी। यही कारण है कि इसे एक समयोचित उचित निर्णय माना जा रहा है।
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