नई दिल्ली। देश को आर्थिक मजबूती देने के लिए रिजर्व बैंक (फइक) ने शुक्रवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर दी है। इस कटौती के बाद रेपो दर 5.15 प्रतिशत रह गई। रेपो दर में इस वर्ष में यह लगातार पांचवीं कटौती की गई है। इस कटौती से बैंकों का कर्ज और सस्ता होने की उम्मीद बढ़ी है। आम लोगों को राहत देने के लिए रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है। इसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा। लोगों का होम लोन, पर्सनल और कार लोन सस्ता होगा और साथ ही ईएमआई का बोझ भी कम होगा। नौ सालों में पहली बार रेपो रेट इतना कम हुआ है। रिवर्स रेपो रेट 4.90 फीसदी कर दिया गया है और बैंक रेट 5.40 फीसदी हो गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर कमजोर पड़कर पांच प्रतिशत रह गई। यह पिछले छह साल का निचला स्तर है।
देश-दुनिया में लगातार कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि की चिंता करते हुये रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती पर जोर दे रहा है ताकि ग्राहकों को बैंकों से सस्ता कर्ज मिले और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आये। रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों को उनकी फौरी जरूरतों के लिये नकदी उपलब्ध कराता है। इस नकदी की लागत कम होने से बैंकों को सस्ता धन उपलब्ध होता है जिसे वह आगे अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं। रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है। बता दें कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही संकेत दे चुके थे कि महंगाई में नरमी के मद्देनजर मौद्रिक नीति को लचीला बनाने की अभी गुंजाइश है। इससे पहले सरकार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पांच फीसदी के साथ छह साल के निचले स्तर पर पहुंची आर्थिक विकास दर को रफ्तार देने के लिए कॉपोर्रेट कर में भारी कमी, एफपीआई पर लगाए गए उपकर को वापस लेने सहित कई कदम उठा चुकी है।