मुझे खुशी है कि लगातार दूसरी बार कोई भारतीय आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुआ है लेकिन वहीं जो रूट का लगातार दूसरी बार नॉमिनेट होना भी कोई कम बड़ी बात नहीं है। जिस तरह ऋषभ पंत ने पिछली बार उन्हें पीछे छोड़ दिया था, मुझे लगता है कि इस बार आर अश्विन उन्हें पीछे छोड़ते हुए यह खिताब अपने नाम करेंगे। वैसे मुक़ाबला इतना आसान नहीं है।
आर अश्विन ने इसी सीरीज़ में 24 विकेट लेकर अपने विकेटों की कुल संख्या को 400 तक पहुंचाया जो बहुत बड़ी उपलब्धि है। हालांकि यह ठीक है कि उन्हें यह कामयाबी स्पिन फ्रेंडली पिचों पर मिली है लेकिन इसके बावजूद उनकी इस कामयाबी का काफी महत्व है। खासकर यह देखते हुए कि उन्होंने पिछले दोनों टेस्टों में इंग्लैंड पर जीत दिलाने में अहम योगदान दिया है। दूसरे, इस स्टेज पर एक्शन में बदलाव करना भी बहुत बड़ी बात है। आम तौर पर युवा खिलाड़ी अपने एक्शन में बदलाव करते हुए दिखाई देते हैं लेकिन जो गेंदबाज़ इस सीरीज़ से पहले 400 विकेट के करीब हो, वह अगर ऐसा प्रयोग करता है तो यह वास्तव में स्वागत योग्य बात है। अश्विन की गेंदबाज़ी को अगर आप काफी करीब से देखें तो आप पाएंगे कि उनके रिलीज़ पॉइंट और उनके पैरों के एलाइनमेंट में कितना तालमेल दिखता है। वास्तव में उनका यह एक्शन 2016 के एक्शन से बिल्कुल अलग है। इससे फर्क यह आया है कि इससे उनका रिलीज़ पॉइंट पहले से काफी अच्छा हुआ है। उनकी इस सोच के लिए उनकी सराहना की जानी चाहिए। इससे भी बड़ी बात यह है कि एक्शन में बदलाव करके रिकॉर्डतोड़ कामयाबी हासिल करना और भी बड़ी बात है।
वहीं अगर जो रूट की बात करें तो चेन्नै में पहले टेस्ट में उन्होंने ऐसे समय में डबल सेंचुरी लगाकर अपनी टीम को जीत दिलाई जबकि उस समय हर कोई भारत की 4-0 या 3-0 की जीत की भविष्यवाणी कर रहा था। इतना ही नहीं एक मौके पर बेहद किफायती गेंदबाज़ी करके उन्होंने पांच विकेट भी हासिल किए जबकि उनकी पहचान केवल बल्लेबाज़ की है। वहीं तीसरे दावेदार वेस्टइंडीज़ के युवा सनसनी काइल मेयर्स हैं जिन्होंने अपने पहले ही टेस्ट में अपनी टीम को 395 रन का लक्ष्य पार करा दिया। उनकी उस डबल सेंचुरी के काफी मायने हैं। इस किसी भी खिलाड़ी का ड्रीम डैब्यू कहा जा सकता है। यह खिलाड़ी उस बारबडोस से आता है जहां से कभी गोर्डन ग्रीनिज और डेसमंड हेंस आए थे।
बेशक इन तीनों का प्रदर्शन शानदार रहा है लेकिन इनमें मुझे आर अश्विन ज़्यादा कंसिस्टेंट हैं और मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा कि वह इस बार का खिताब अपने नाम करने में सफल रहें।
अजय रात्रा
(लेखक टीम इंडिया के लिए बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज़ 6 टेस्ट और 12 वनडे मैच खेल चुके हैं।