कोविड महामारी के दौरान दान किए थे 500 करोड़ रुपए
New Delhi (आज समाज) नई दिल्ली: टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा का उमर संबंधी बीमारी के चलते बुधवार देर रात निधन हो गया। गत सात अक्टूबर को रतन टाटा चेकअप के लिए अस्पताल आए थे। लेकिन डॉक्टर्स ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कर लिया था। बुधवार देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। अगर बात की जाए रतन टाटा के बारे में तो वह केवल एक कारोबारी ही नहीं बड़ दानी सज्जन व्यक्ति थे। रतन टाटा हर मुश्किल समय में देश के साथ खड़े रहे। उन्होंने हमेशा देश हित को ध्यान में रखकर ही कार्य किया।
रतन टाटा, ग्रुप की परोपकारी शाखा, टाटा ट्रस्ट में गहराई से शामिल थे। टाटा ग्रुप की यह आर्म शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ग्रामीण विकास जैसे सेक्टर्स में काम करती है। अपने पूरे करियर के दौरान, रतन टाटा ने यह तय किया कि टाटा संस के डिविडेंड का 60-65% चैरिटेबल कॉज के लिए इस्तेमाल हो। कोविड-19 महामारी के दौरान रतन टाटा ने बड़ा दिल दिखाते हुए 500 करोड़ रुपए का दान किया था। उनके इस फैसले की पूरे देश में चर्चा रही। उन्होंने शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काफी कार्य किया।
रतन टाटा ने एक एग्जीक्यूटिव सेंटर की स्थापना के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया था। वे यहीं से पढ़े थे। उनके योगदान ने उन्हें विश्व स्तर पर सम्मान दिलाया, एक परोपकारी और दूरदर्शी के रूप में उनकी विरासत को और बढ़ाया है।
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