आईआईएफएल वेल्थ हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2022 के मुताबिक टाटा की कुल संपत्ति 3,800 करोड़ रुपए आंकी थी
Ratan Tata Networth, आज समाज डेस्क : विश्व के चोटी के उद्योगपतियों में अपनी खास पहचान बनाने वाले रतन टाटा सादगी की मिसाल थे। कभी भी उन्होंने अपनी संपत्ति और पैसे को अपने व्यक्तित्व पर भारी नहीं होने किया। विश्व व्यापार की यह दिग्गज हस्ती आज हमारे बीच नहीं रही। बुधवार रात को रतन टाटा का मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया। दो दिन पहले वे अपने स्वास्थ्य की जांच के लिए अस्पताल आए थे। 86 वर्षीय रतन टाटा पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे। आज हम आपको बताते हैं कि रतन टाटा कितनी संपत्ति के मालिक थे और किन-किन क्षेत्रों में उनका व्यापार फैला हुआ था।
टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा का बिजनेस नमक, स्टील, आॅटोमोबाइल, सॉफ्टवेयर और एयरलाइंस तक फैला हुआ था। रतन टाटा 30 से अधिक कंपनियों के मालिक थे और विश्व के 100 से अधिक देशों में व्यापार है। आईआईएफएल वेल्थ हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2022 के मुताबिक, टाटा ग्रुप के चेयरमैन टाटा की कुल संपत्ति 3,800 करोड़ रुपए आंकी गई थी।
रतन टाटा ने अपनी संपत्ति का भारी हिस्सा टाटा ट्रस्ट को दे दिया था, टाटा संस में उनकी हिस्सेदारी दो तिहाई थी। इसके अलावा, टाटा संस के डिविडेंड से आने वाले पैसे का 60 प्रतिशत हिस्सा धर्मार्थ कामों में लगाया जाता था
बता दें कि टाटा ग्रुप द्वारा बनाए गया टाटा ट्रस्ट ने देश के कई राज्यों में 10 कैंसर अस्पताल का निर्णाण कराया है और इसकी देखभाल करता है। इसमें असम, झारखंड और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
1. कोई भी लोहे को नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसका अपना जंग नष्ट कर सकता है। इसी तरह, कोई भी व्यक्ति को नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी मानसिकता नष्ट कर सकती है।
2. लोग आप पर जो पत्थर फेंकते हैं, तो आप वापस वे पत्थर उनपर न फेंके बल्कि उन्हें स्मारक बनाने के लिए इस्तेमाल करें।
3. जीवन में उतार-चढ़ाव हमें आगे बढ़ने के लिए बहुत जरूरी हैं क्योंकि एक सीधी रेखा, यहां तक कि इसीजी में भी, इसका मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं।
4. सफलता आपके पद से नहीं मापी जाती, बल्कि दूसरों पर आपके प्रभाव से मापी जाती है।
5. मैं चीजों को किस्मत पर छोड़ने में विश्वास नहीं करता। मैं कड़ी मेहनत और तैयारी में विश्वास करता हूं।
6. मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता, मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।
7. अगर आप तेज चलना चाहते हैं, तो अकेले चलें। लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं, तो साथ चलें।
8. नेतृत्व का मतलब प्रभारी होना नहीं है। इसका मतलब है अपने प्रभार में आने वालों का ख्याल रखना।
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