***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-08/04/2022, शुक्रवार
सप्तमी, शुक्ल पक्ष
चैत्र
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*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
तुला
Libra Horoscope 08 April 2022: आज का दिन आपके लिए कुछ खर्चा भरा रहेगा। आपको जीवनसाथी को शॉपिंग कराते समय अपनी जेब का ख्याल रखना होगा। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय होगा। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। मित्रों तथा पारिवारिक सदस्यों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। शत्रुओं का पराभव होगा। प्रमाद न करें। यदि आपकी कुछ पुरानी देनदारियां हैं,तो वह भी आपसे मांगने के लिए तैयार रहेंगे,जिसके कारण आपको सिर दर्द रहेगा। संतान की संगति की और आपको विशेष ध्यान देना होगा,नहीं तो आप किसी गलत संगति की ओर अग्रसर हो सकते हैं, लेकिन व्यापार में आपको आपका रुका हुआ धन प्राप्त होगा,जिससे आप अपने दैनिक खर्चे निकालने में कामयाब रहेंगे। यदि माताजी आपको कोई कार्य सौंपे,तो आपको समय पर पूरा करना होगा,नहीं तो वह आपसे नाराज हो सकते हैं।
तिथि——– सप्तमी 23:04: 34 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———- आर्द्रा 25:42:06
योग———— शोभन 10:28:27
करण————- गर 09:49:09
करण———- वणिज 23:04:34
वार———————– शुक्रवार
माह—————————चैत्र
चन्द्र राशि——————–मिथुन
सूर्य राशि——————- मीन
रितु———————— वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944
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वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:03:33
सूर्यास्त————— 18:38:56
दिन काल————–12:35:23
रात्री काल————- 11:23:32
चंद्रोदय————— 10:42:16
चंद्रास्त—————- 25:14:27
लग्न—- मीन 24°0′ , 354°0′
सूर्य नक्षत्र—————— रेवती
चन्द्र नक्षत्र——————- आर्द्रा
नक्षत्र पाया——————- रजत
*** पद, चरण ***
घ—- आर्द्रा 12:12:08
ङ—- आर्द्रा 18:57:27
छ—-आर्द्रा 25:42:06
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मीन 24:12 रेवती , 3 च
चन्द्र =मिथुन 10°23, आर्द्रा, 2 घ
बुध = मीन 29 ° 07′ रेवती ‘ 4 ची
शुक्र=कुम्भ 08°05, धनिष्ठा ‘ 1 गो
मंगल=कुम्भ 00°30 ‘ धनिष्ठा’ 3 गु
गुरु=कुम्भ 28°30 ‘ पू o भा o, 3 दा
शनि=मकर 27°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 00°10’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 00°10 विशाखा , 4 तो
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*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 10:47 – 12:21 अशुभ
यम घंटा 15:30 – 17:05 अशुभ
गुली काल 07:38 – 09:12 अशुभ
अभिजित 11:56 -12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 08:35 – 09:25 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:46 – 13:37 अशुभ
चोघडिया, दिन
चर 06:04 – 07:38 शुभ
लाभ 07:38 – 09:12 शुभ
अमृत 09:12 – 10:47 शुभ
काल 10:47 – 12:21 अशुभ
शुभ 12:21 – 13:56 शुभ
रोग 13:56 – 15:30 अशुभ
उद्वेग 15:30 – 17:05 अशुभ
चर 17:05 – 18:39 शुभ
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चोघडिया, रात
रोग 18:39 – 20:04 अशुभ
काल 20:04 – 21:30 अशुभ
लाभ 21:30 – 22:55 शुभ
उद्वेग 22:55 – 24:21* अशुभ
शुभ 24:21* – 25:46* शुभ
अमृत 25:46* – 27:12* शुभ
चर 27:12* – 28:37* शुभ
रोग 28:37* – 30:02* अशुभ
होरा, दिन
शुक्र 06:04 – 07:07
बुध 07:07 – 08:09
चन्द्र 08:09 – 09:12
शनि 09:12 – 10:15
बृहस्पति 10:15 – 11:18
मंगल 11:18 – 12:21
सूर्य 12:21 – 13:24
शुक्र 13:24 – 14:27
बुध 14:27 – 15:30
चन्द्र 15:30 – 16:33
शनि 16:33 – 17:36
बृहस्पति 17:36 – 18:39
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होरा, रात
मंगल 18:39 – 19:36
सूर्य 19:36 – 20:33
शुक्र 20:33 – 21:30
बुध 21:30 – 22:27
चन्द्र 22:27 – 23:24
शनि 23:24 – 24:21
बृहस्पति 24:21* – 25:18
मंगल 25:18* – 26:15
सूर्य 26:15* – 27:12
शुक्र 27:12* – 28:09
बुध 28:09* – 29:06
चन्द्र 29:06* – 30:02
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मीन > 05:00 से 06:26 तक
मेष > 06:26 से 09:12 तक
वृषभ > 09:12 से 10:52 तक
मिथुन > 10:52 से 12:12 तक
कर्क > 12:12 से 14:32 तक
सिंह > 14:32 से 15:36 तक
कन्या > 15:36 से 07:50 तक
तुला > 07:50 से 09:16 तक
वृश्चिक > 09:16 से 00:28 तक
धनु > 00:28 से 01:32 तक
मकर > 01:32 से 03:18 तक
कुम्भ > 03:18 से 05:00 तक
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विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
7 + 6 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
7 + 7 + 5 = 19 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 23:05 से प्रारम्भ
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*** विशेष जानकारी ***
*नवरात्रि सप्तम दिवस कालरात्रि पूजन
*सर्वार्थ सिद्धि योग 25:42 से
* मंगल पाण्डे शहीद दिवस
*दुर्गापूजन प्रारम्भ (बंगला)
*** शुभ विचार ***
कालः पचति भूतानि कालः संहरते प्रजाः ।
कालः सुप्तेषु जागर्ति कालो हि दुरतिक्रमः ।।
।। चा o नी o।।
काल सभी जीवो को निपुणता प्रदान करता है. वही सभी जीवो का संहार भी करता है. वह जागता रहता है जब सब सो जाते है. काल को कोई जीत नहीं सकता.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: गुणत्रयविभागयोग अo-14
रजसि प्रलयं गत्वा कर्मसङ्गिषु जायते ।,
तथा प्रलीनस्तमसि मूढयोनिषु जायते ॥,
रजोगुण के बढ़ने पर मृत्यु को प्राप्त होकर कर्मों की आसक्ति वाले मनुष्यों में उत्पन्न होता है तथा तमोगुण के बढ़ने पर मरा हुआ मनुष्य कीट, पशु आदि मूढ़योनियों में उत्पन्न होता है॥,15॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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