आज समाज डिजिटल, लखनऊ,(Rare Shaligram Rocks): रामलला की मूर्ति के लिए नेपाल की काली गंडकी नदी से लाई गई दो विशाल शिलाएं रामजन्म भूमि अयोध्या पहुंच गई हैं। दोनों शिलाखंड 373 किलोमीटर और 7 दिन के सफर के बाद बुधवार शाम को अयोध्या पहुंच गए थे।
6 करोड़ साल पुराने हैं शालिग्राम
नेपाल स्थित प्राचीन मिथिला की राजधानी जनकपुर के जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास और नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री विमलेंद्र निधि ने गुरुवार को विधि विधान पूर्वक ये शिलाखंड गुरुवार को राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय को समर्पण पत्र के माध्यम से भेंट किए। इन्हीं शिलाओं से प्रभू श्रीराम और माता सीता की मूर्ति बनाई जानी है। मंदिर के प्रबंधकों ने बताया कि शालिग्राम 6 करोड़ साल पुराने हैं।
जनकपुर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है सीताराम विवाह
विमलेंद्र निधि ने बताया कि जनकपुर में सीताराम विवाह बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जानकी मंदिर के महंत महंत तपेश्वर दास की मंशा से यह काम हो रहा है। न्यायालय के फैसले के बाद से ही मन में विचार आया था कि राममंदिर में शालिग्राम शिला की मूर्ति स्थापित हो।
फूल बरसाकर और नगाड़ों भव्य स्वागत
बुधवार रात को जब शिलाओं का रथ अयोध्या पहुंचा, उत्सवी माहौल में सरयू नदी के पुल पर फूल बरसाकर और नगाड़े बजाकर रथ का भव्य स्वागत किया गया। लाखों श्रद्धालुओं ने जय श्रीराम के जयकारे लगाए गए। भगवान की मूर्ति की भाव भंगिमां कैसी होनी चाहिए, इस पर गहनता से विचार किया जा रहा है। इसीलिए देशभर के मूर्तिकारों के विचारों को जानने के लिए बुलाया गया है।
विशेषज्ञों की सलाह से बनेगी मूर्ति की भाव भंगिमां
कर्नाटक और ओडिशा की भी शिलाएं मंगवाई गई हैं,। सभी शिलाओं को एकत्र करने के बाद विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही गर्भगृह की मूर्ति किस पत्थर से बनाई जाएगी यह तय किया जाएगा। नेपाल के जनकपुर में स्थित काली नदी से निकाली गई शिलाओं में एक का वजन 26 टन है और दूसरी शिला का वजन 14 टन है।
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